नई दिल्ली,(विजयेन्द्र दत्त गौतम) : ब्रिटेन के शोधकर्ताओं का दावा है कि तांबे की सतह के संपर्क में आने पर कोई भी वायरस या बैक्टिरिया कुछ ही मिनट में खत्मी हो जाता है।
वैज्ञानिकों ने पिछले महीने बताया था कि कोरोना वायरस प्लास्टिक और मेटल पर कुछ दिन तक जिंदा रह सकता है, लेकिन तांबे की सतह पर कुछ घंटों में खत्मु हो जाता है। अब शोध में पता चला है कि तांबे की सतह पर कोरोना वायरस कुछ मिनट में ही खत्मा हो जाता है।
जानकारी के अनुसार वैज्ञानिकों ने अपनी प्रयोगशाला में मिडिल ईस्टल रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और स्वााइन फ्लू के वायरस पर तांबे के असर का परीक्षण किया है। हर बार तांबे के संपर्क में आने के कुछ ही मिनटों में वायरस खत्मब हो गया। वह कहते हैं कि तांबे के संपर्क में आने के कुछ ही मिनट में वायरस की धज्जियां उड गईं। शोधकर्ताओं ने एक परिवार पर शोध किया जिन्हें जुकाम और निमोनिया की शिकायत होती है। प्रयोग के दौरान जब इस कोरोना वायरस का तांबे की सतह से संपर्क कराया तो यह भी मिनटों में खत्मो हो गया, जबकि ये स्टेेनलेस स्टीकल और कांच पर 5 दिन तक जिंदा रहा। जानकारी के अनुसार एडिनबर्ग में रॉयल ऑब्जीर्वेटरी के ईस्टम टॉवर में तांबे का इस्तेवमाल किया गया है। इसमें हरा नजर आ रहा हिस्सा् भी तांबे का है, जिसे 1894 में लगाया गया था। ये हिस्सा आज भी वायरस के खिलाफ काम करता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये दुर्भाग्या ही है कि हमने साफ दिखने के कारण साार्वजनिक और सबसे ज्यािदा टच की जाने वाली जगह पर स्टेमनलेस स्टीरल को ही तव्वसजो दी। लेकिन, यहां सवाल ये है कि निश्चित तौर पर स्टीरल बाकी धातुओं के मुकाबले साफ दिखता है, लेकिन हम उसे कितनी बार स्वलच्छु करते हैं। ऐसे में ये संक्रमण फैला सकता है। वहीं, तांबे की सतह को बार-बार साफ करने की जरूरत नहीं होती है। ये बिना साफ किए भी अपने संपर्क में आने वाले वायरस या बैक्टिरिया को खत्मि कर देता है। मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना में माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूसनोलॉली के शोधकर्ताओं के मुताबिक़ तांबे के जरिये प्राचीन काल के इलाज पर आधुनिक शोध की मुहर है। वह कहते हैं कि लोग जर्म्सन या वायरस को जानने से बहुत ही तांबे की कई बीमारियों के इलाज करने की क्षमता को पहचान गए थे। वह कहते हैं कि तांबे का एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव कभी खत्मा नहीं होता है। तांबे के बारे में प्राचीन काल के लोग जो कुछ जानते थे, आज के वैज्ञानिक और संस्थााएं सिर्फ उनकी पुष्टि कर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने 400 कॉपर सरफेस को एंटी-माइक्रोबियल सतह के तौर पर रजिस्टणर किया है। शोधकर्ताओं ने 3 अस्प्तालों की स्टेरयर्स की रेलिंग के साथ ही ट्रे टेबल्सं और कुर्सियों के हैंडल्से पर तांबे की परत का इस्ते माल किया। करीब 43 महीने चले शोध में पता चला कि रुटीन इंफेक्शटन प्रोटोकॉल का पालन करने वाले अस्प्तालों के मुकाबले इन तीनों अस्पइतालों में लोगों को संक्रमण 58 फीसदी कम हुआ।
एक अन्यम अध्य यन से पता चला कि अगर आप किसी अस्प ताल में या सार्वजनिक जगह पर तांबे का ज्यातदा से ज्याीदा इस्तेेमाल करते हैं तो वहां संक्रमण फैलने की आशंका बहुत कम हो जाती है क्योंाकि ये हर समय अपने काम में लगी रहती है।