Uttarakhand:आज सचिवालय में कृषि एवं इससे सम्बद्ध विभागों की समीक्षा की। अधिकारियों को निर्देश दिए कि विभागीय योजनाओं की जानकारी सभी सीडीओ को होनी चाहिए, इसके लिए विभाग और सीडीओ आपसी समन्वय बनाकर कार्य किए जाएं।
कृषि क्षेत्र में विकास के लिए परंपरागत खेती को बढ़ावा देने के साथ ही इनोवेटिव होने की आवश्यकता है। उत्तराखण्ड में 90 प्रतिशत किसान स्मॉल एवं मार्जिनल लेवल के हैं। आत्मनिर्भर भारत योजना के अन्तर्गत एफ पी ओ की नाबार्ड के माध्यम से प्रस्तुतीकरण करवा कर पूर्ण जानकारी गावों तक पहुंचाई जाए।
प्रदेश में एरोमैटिक और हर्बल की अत्यधिक संभावनाएं हैं। एरोमा के क्षेत्र में क्लस्टर बेस्ड योजनाएं लायी जाएं। इसके साथ ही, गुलाब के उत्पादन के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में योजना तैयार की जाए। हर्बल रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट को भी औषधीय पौधों के लिए विशेष योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिए। यह क्षेत्र रोजगार एवं आय का एक महत्वपूर्ण श्रोत बन सकता है।
उद्यान विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि फलों के ट्रेडिशनल प्लांट्स की प्लांटेशन को छोड़ उच्च गुणवत्ता के प्लांट्स की प्लानिंग को शुरू किया जाए। मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी विकास योजना आत्म निर्भर भारत के अन्तर्गत ऑपरेशन ग्रीन योजना कलैक्टिव फार्मिंग में अधिक ध्यान दिया जाए। लोगों को जानकारी उपलब्ध कराने हेतु योजनाओं का प्रचार प्रसार किया जाए। पर्वतीय क्षेत्रों में मशरूम की खेती को बढ़ावा दिया जाए। पर्वतीय क्षेत्रों में मशरूम के उत्पादन को बढ़ा कर दूसरे कृषि उत्पादों की ओर आकर्षित किया जाए।