देहरादून,। श्री राम युवा वाहिनी द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई जिसका उद्देश्य केंद्र सरकार, उत्तराखंड सरकार, एवं उत्तराखंड तथा देश की जनता के खिलाफ की गयी करोडो रूपये की धोखाधड़ी के सम्बन्ध में कार्यवाह के लिए मीडिया के माध्यम से जानकारी देना है। इस बड़े घोटाले के संज्ञान में आने के बाद विभाग, सम्बंधित मंत्रालय, पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड एवं मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत कराने एवं सभी सबूत देने के बाद भी जांच कर कार्यवाही नहीं की गयी, इसलिए प्रेस कांफ्रेंस करने को मजबूर हुए। 6 फरवरी 2020 को उत्तराखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा दिल्ली की कंपनी विषाद एडुटेक प्राइवेट लिमिटेड को एक प्रोजेक्ट डीडीयू-जीकेवाई का 3 करोड़ 22 लाख रूपए से ऊपर का ग्रांट देने का अनुबंध किया गया। इस प्रोजेक्ट को अप्लाई करने के लिए बहुत से दस्तावेजों की जरुरत होती है, जिन पर भी पूरा शक है की झूठे दस्तावेज देकर प्रोजेक्ट लिया गया है, जो उत्तराखंड सरकार और पब्लिक के पैसे को ठिकाने लगाने का बहुत बड़ा षड़यंत्र है। जिस पर विभाग वो कागज़ तक दिखाने को तैयार नहीं, जिनके आधार पर करोड़ो रुपए का उत्तराखंड सरकार का पैसा दिया गया।
सम्बंधित कंपनी के 2 डायरेक्टर है-(अतुल प्रकाश आनंद, विशाल जिंदल), जिनके नाम पर और भी बहुत सारी कम्पनियां दिल्ली तथा अन्य स्थानों पर रजिस्टर्ड है। जिन्हे छुपाया गया है विभाग और कंपनी द्वारा सरकार और पब्लिक की आँखों में धूल झोकी गयी है। विभाग और कंपनी द्वारा
विभाग इस प्रोजेक्ट को किसी दूसरे को थर्ड पार्टी करने के लिए कानूनन नहीं दे सकता है, पर क़ानून का उल्लंघन करके इस कंपनी ने उत्तराखंड में एक रजिस्टर्ड संस्था को धोखे में रखके झूठे दस्तावेज दिखाके, सब कुछ लीगल बताके अनुबंध किया, जिसके बारे में जानते हुए भी कंपनी ने गैर कानूनी अनुबंध किया और विभाग ने सब कुछ जानते हुए भी कंपनी पर कोई कार्यवाही नहीं की , जो कि उत्तराखंड सरकार तथा उत्तराखंड कि जनता के साथ किया गया बहुत बड़ा धोखा है। और आज भी विभाग उस कंपनी का साथ देके, कोई कार्यवाही न करके और भी करोड़ो रुपया उस कंपनी को देके धांधलेबाजी करने के लिए उतारू है। जिस संस्था को धोखे में रखके ये अनुबंध किया कंपनी ने, उनको भी डराने की कोशिश की जा रही है कंपनी और विभाग द्वारा। क्युकी सम्बंधित व्यक्ति का एक डायरेक्टर पहले वकील था लम्बे समय तक, तथा आज भी उसका सगा बड़ा भाई खुद की लॉ फर्म चला रहा है दिल्ली में, और झूठे मुकदमे गैर कानूनी बनाके सार्वजनिक निति के विरुद्ध विभाग का साथ लेकर बचके पैसे को अंदर किया जा रहा है। और अपनी पहुंच और ताकत दिखाके ये सोच रहा है, की ये छोटी संस्थाए तथा उत्तराखंड में रहने वाले छोटे लोग क्या ही कर लेंगे उसका, क्युकी विभाग हर जगह उसे बचाने खड़ा हो जा रहा है, जांच तक कराने में असमर्थ हो रहे है हम लोग इस मामले में।
जिन उत्तराखंड के लोकल वेंडर्स तथा संस्था ने काम किया, उनके बारे में विभाग को न बताकर झूठे बिल बनाके आज भी पैसा लिया जा रहा है। और विभाग बिना किसी जांच के घोटाले में सम्मिलित होकर दिए भी जा रहा है। विभाग जानकारी तक देने से इंकार कर रहा है इसके बारे में। साथ ही धोखाधड़ी करके लोकल संस्था को बेवकूफ बना के अपना आधा काम करा के, बाकी सब सिर्फ कागज़ पर दिखा के पैसा विभाग की मदद से लेता ही जा रहा है। विघ्द्यार्थियों के या जिन सार्वजनिक कंपनियों में बहुत सारा प्लेसमेंट फ़र्जी हुआ है, उनके कंपनी नाम के अलावा उनके पते या फ़ोन नंबर देने तक से भी मना कर रहा है ये कहकर, कि इन सार्वजनिक कंपनी कि पर्सनल डिटेल नहीं दे सकते। ये जानकारी हमें सुचना के अधिकार से मिली। इससे ये साफ़ प्रतीत होता है, कि विभाग और कंपनी ने मिलकर बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा किया है।

