नौहराधार। धारा 144 कर्फ्यू उल्लंघना मामले में जिला सिरमौर प्रशासन की कार्रवाई दम तोड़ती प्रतीत हो रही है। जिससे असामाजिक तत्वों के हौंसले बुलंद हैं। मामले में 12 दिन से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद अब तक कोइ कार्रवाई नहीं की गयी है। हांलाकि मामले में जांच कर रहे अधिकारी लगभग 3 दिन पूर्व ही अपनी रिपोर्ट जिला उपायुक्त को सौंप चुके है। जिसमे साफ़ साफ़ तहसीलदार पर दबाव बनाने और असवैंधानिक तौर पर भीड़ जुटाकर कर्फ्यू नियमों की अवहेलना पाई गयी है। मामले के सन्दर्भ में उपायुक्त सिरमौर डा. आरके परूथी ने कहा कि जांच रिपोर्ट आ चुकी है। अब देखते हैं कि मामले में क्या करना है। उन्होंने कहा कि उक्त मामले को लेकर नौहराधार के एसडीएम को जांच का जिम्मा सौंपा था। जिसके बाद अब तय करना है कि आगे क्या कार्रवाई करनी है। उन्होंने कहा कि जब भी किसी प्रकार का निर्णय लिया जाएगा, उसके बारे में अवगत करवा दिया जाएगा। चर्चा है कि राजनैतिक दबाव के समक्ष ब्यूरोक्रेसी घुटने टेक चुकी है। मामले को रफा दफा करने का प्रयास किया जा रहा है। देश में कोरोना महामारी के दौर में प्रकाश में आया यह पहला ऐसा मामला है जिसमे सरेआम क़ानून की अवहेलना की गयी और 12 दिन बीत जाने के बावजूद कार्रवाई नहीं की गयी। अलबत्ता पारंपरिक दबंगई के अंतर्गत ब्यूरोक्रेसी को दबाने के मामले अब तक प्रचलन में हैं।
गौरतलब है कि मामला बीते 12 अप्रैल का है। तहसील कार्यालय नौहराधार में बिना दस्तावेज कर्फ्यू पास नहीं बनाने पर लोगों ने कर्फ्यू नियमो को तोड़कर तहसीलदार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लोगों का आरोप था कि नौहराधार के तहसीलदार का लोगों के साथ व्यवहार ठीक नहीं है। किसान कर्फ्यू पास के लिए अर्जी देने आ रहे हैं तो वह ऑनलाइन पास बनाने की बात कह रहे हैं। जबकि अधिकतर किसानों के पास इसकी सुविधा ही उपलब्ध नहीं है।, नौहराधार के नंबरदार विरेंद्र वर्मा ने आरोप लगाया कि वह मछलियों का दाना लाने के लिए कर्फ्यू पास बनवाने तहसील कार्यालय पहुंचे थे। उनका चौरस में एक मछली फार्म है। मछलियों के लिए दाना कुल्लू जिले के पतलीकूहल से आना था। इसके लिए उन्हें गिरिपुल से फीड लाने का कर्फ्यू पास चाहिए था लेकिन करीब 11 बजे जब वह तहसील कार्यालय गए थे तो वहां तहसीलदार नहीं थे। चतुर्थश्रेणी कर्मचारी आवेदन पत्र लेकर उनके आवास पर गए जहां उन्होंने स्वीकृति देने को मना कर दिया।
हालांकि बाद में यह सामने आया कि लोक डाउन के आवश्यक नियमो के अंतर्गत क्षेत्र में प्रत्येक पात्र के कर्फ्यू पास बनाए जा रहे हैं। ट्रांसपोर्ट और सब्जी विक्रेता, राशन वितरण के तहत दुकानदारों और अन्य एसेंशियल सर्विसेज के लिए तहसील कार्यालय के अंतर्गत लगातार कर्फ्यू पास बनाए भी गए हैं। जबकि इस मामले में बिना दस्तावेज कर्फ्यू पास बनाने के दबाव के बावजूद तहसीलदार नहीं माने। बल्की तहसीलदार पर वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किए जाने का भी प्रयास किया गया। यही नहीं इसके बाद वहां पर स्थानीय लोग बुलाए गए और तहसीलदार के खिलाफ नारेबाजी की। बात यहीं तक नहीं रुकी उल्टा ग्रामीणों ने तहसीलदार की शिकायत जिला उपायुक्त से कर दी। जिसमे उन्होंने बताया कि लोग कर्फ्यू के दौरान बीमारी, कृषि संबंधी आदि के पास बनवाने के लिए तहसीलदार के पास जाते हैं तो तहसीलदार पास न बना के उनके साथ बदसलूकी करते हैं। वह ऑनलाइन पास बनवाने की बात कहते हैं, जबकि कई किसानों के पास इसकी सुविधा नहीं है। मामले में तहसीलदार की खिलाफत के लिए मीडिया ट्रायल तक करवाया गया।
कर्फ्यू उल्लंघना मामले में राजनीती पड़ीं ब्यूरोक्रेसी पर भारी
Related Posts
भोरंज के बेरोज़गार युवाओं को रोज़गार और भी अवसर मिलेंगे : राजीव राणा
5 / 100 Powered by Rank Math SEO भोरंज : भोरंज विधानसभा सभा तहसील हेड क्वाटर बस्सी में को होटल सन स्काई में रोज़गार मेला 2024 का आयोजन किया गया…
भोरंज के बेरोज़गार युवाओं को रोज़गार के नये अवसर : राजीव राणा
1 / 100 Powered by Rank Math SEO Shimla: भोरंज विधानसभा सभा तहसील हेड क्वाटर बस्सी में 29 जुलाई को होटल सन स्काई में रोज़गार मेला 2024 का आयोजन किया…