शिमला,(विजयेन्द्र दत्त गौतम) : बालीवुड में बड़ी शख्सियत के तौर पर माने जाने वाले गीतकार, रचनाकार और संगीतकार पंडित बालकृष्ण शर्मा अक्सर कहा करते हैं कि हिमाचल प्रदेश सहित तमाम हिमालय की वादियाँ प्राकृतिक रूप से फिल्म का सेट है। हिप्र में बालीवुड की एंट्री को लेकर लम्बे समय से प्रयासरत बालकृष्ण शर्मा का कहना है कि अब वह दिन दूर नहीं जब बालीवुड से लेकर हालीवुड तक की शूटिंग हिप्र में हुआ करेगी और प्रदेशवासियों को इस रंगमंच पर अपनी प्रतिभा को संवारने का मौक़ा मिलेगा। एक ख़ास बातचीत में उन्होंने बताया कि हिप्र में बालीवुड की एंट्री से रोजगार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि पूर्व में बालीवुड फिल्मों की शूटिंग हिप्र में होती थी और फ़िल्मी कहानी में यहाँ के दृश्य विदेशों के बतलाए जाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। शीघ्र ही प्रदेश सरकार के सहयोग से दशकों से उपेक्षा का दंश झेल रहे प्रदेश को विश्व के मानचित्र पर न्याय प्राप्त होगा।
देवभूमी हिमाचल प्रदेश के मंडी के गागल में 10 फरवरी 1968 में जन्मे पंडित बालकृष्ण शर्मा का नाम आज संगीत जगत में धूम मचा रहा है। पिटा श्री मोहन लाल शर्मा और माँ गोमती देवी के घर जन्मे बालकृष्ण शर्मा ने अपने संगीत और स्वर के जरिए न केवल हिमाचल का बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। इन्होने इल्म से लेकर फिल्म तक का सफ़र कड़ी मेहनत, संघर्ष और लगन से तय किया है। बालकृष्ण शर्मा प्रथम गुरु अपनी माँ को मानते हैं। हिमाचल विश्वविद्यालय से स्नातक की पढाई के साथ साथ इन्होने पंडीत देवकी नंदन गौतम जी से गायन और श्री प्रथ्वी सिंह ठाकुर जी से विधिवत तबला सीखा। प्रोफ़ेसर रमेश रवी, प्रो. स्वर्गीय कृपाल सिंह ठाकुर जी को थियेटर गुरु मानते हैं। श्री रवी पंवार जी जॉन रेफल से प्यानो व् कमर्शियल म्यूजिक का प्रशिक्षण लिया।
1986 में राजीव गांधी द्वारा आयोजित किए गए अपना उत्सव में इन्होने हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। तभी से इनका यह संगीतमय सफ़र शुरू हुआ।
हिन्दी, अंग्रेजी और पंजाबी भाषा के जानकार पंडित बालकृष्ण शर्मा ने हिन्दी, पंजाबी, हिमाचली, अंग्रेजी, राजस्थानी, गढ़वाली, भोजपुरी, नेपाली बंगाली सहित अनेक भाषाओं में गीत बनाएं हैं और गाने के साथ साथ निर्देशन भी किया है।अपने संगीत निर्देशन में इन्होने विदुषी शुभा मुदगल, स्वर्गीय उस्ताद सुलतान खान, कैलाश खेर, सुनीधी चौहान, रब्बी शेरगिल, म्स्लिनी अवस्थी, इला अरुण, जस्वींदर नारुला, मिक्का सिंह, सुरेश वाडेकर, कुल्ले खान, अनुराधा पोडवाल, सकती सिंह, पियूष राज, जितेन्द्र मुदगल, कृतिका तनवर जैसे गायकों को गीत गवाएं हैं।बालकृष्ण जी ने बालीवुड हिन्दी फीचर फिल्म “ चुड़ा एक प्रथा”, “ब्रिणा” और करीम मोहम्मद में म्यूजिक दिया। जिसको विभिन्न फिल्म फेस्टिवल में बहुत सराहना मिली है। “ चुड़ा एक प्रथा” को नोएडा फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट म्यूजिक अवार्ड 2015 से सम्मानित किया गया।
बालीवुड की नामी संगीत हस्तियों मीरा नायर, प्रीतम, जोया अख्तर, विशाल शेखर, सलीम सुलेमान के साथ कई बालीवुड फिल्मो में काम किया। साथ ही अनुष्का शंकर की “राईज” एल्बम के लिए काम किया।दिल्ली और मुम्बई को कार्य क्षेत्र बनाने वाले बालकृष्ण ने लोकसंगीत पर बहुत प्रयोगात्मक कार्य किए। जो देश विदेश में बहुत प्रसिद्ध हुए। जिसमे बंजारा-1, बंजारा-2, बंजारा-3 मशहूर एल्बम किए। बंजारा-2 में देश की प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायिका शुभा मुदगल ने गाकर हिमाचल की सांस्कृतिक विरासत को गौरवान्वित किया है। बालकृष्ण जी अपने इस सफ़र में साथ देने वाले माँ प्रेम भारती, बड़े भाई अश्वनी कुमार शर्मा व् मित्रों में दीपक गौतम, जितेन्द्र मोदगिल, देवदत्त, शक्ती सिंह, पदम् श्री डा. सुनील जोगी, रविन्द्र राजावत, संगीतकार सोमदेव कश्यप और पियूष राज का सदा आभार व्यक्त करते हैं।