देहरादून से वी एस चौहान की रिपोर्ट
Covid-19 कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया के हालातों में अंतर ला दिया है। हर देश में कुछ ना कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है। किसी देश में आर्थिक मंदी आई है ।और किसी देश में चुनाव की तैयारी भी है। इसी प्रकार हमारे देश में कुछ राज्यों में आगामी वर्ष में चुनाव भी होने हैं ।जिन चुनाव की तैयारी के लिए लगभग एक ही वर्ष बचा है। कोरोनाकाल में जिस तेजी के साथ छह महीने निकल गए, अगला एक साल कब आकर चला जाएगा।शायद इसका अदांजा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हो गया है। वरना अब तक परंपरा यही रही है कि सरकारें एक साल में अपने कामकाज की रिपोर्ट पेश करती हैं।जानकारों का मानना है कि कोविड-19 महामारी के दौर ने सिर्फ आर्थिक और सामाजिक हालातों को ही प्रभावित नहीं किया है। इसने राजनीतिक स्थितियों पर भी असर डाला है। अब राजनीति के क्षेत्र में भी नई नई चुनौतियां हैं इस नई तरह की चुनौती के बीच मुख्यमंत्री को अपनी सरकार के साढ़े तीन साल पूरे होने पर अपने कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड लेकर प्रस्तुत होना पड़ा। ऐसा करके उन्होंने चुनावी मोड में आ जाने के संकेत जाहिर कर दिए हैं। दूसरी तरफ विपक्षी राजनीतिक पार्टियां नए-नए मुद्दे पकड़कर बीजेपी सरकार पर हल्ला बोल रहे हैं।सरकार के कामकाज पर सवाल उठा रही कांग्रेस लगातार हमलावर है। उसके सभी शीर्ष नेता प्रदेश भर में जाकर भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार पर निशाने साध रहे हैं। विरोधियों के सवालों और हमलों के बीच मुख्यमंत्री ने भी सरकार की उपलब्धियों, पूरे किए गए वादों और नई घोषणाओं के जरिये इरादे जाहिर कर दिए हैं कि वह भी चुप बैठने वाले नहीं हैं। उनका यह अंदाज सरकार के चुनावी तैयारी के मूड मोड में आ जाने को जाहिर कर रहा है।पिछले दिनों भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कोर कमेटी की बैठक में जुुटा था। वहां भी पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं की यही राय थी कि अब संगठन और सरकार को मिशन 2022 को ध्यान में रखकर कदम बढ़ाने होंगे। संगठन के स्तर पर रणनीति तैयार हो रही है। सरकार के स्तर पर दारोमदार मुख्यमंत्री के कंधों पर है। ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार को रोजगार जैसे मुद्दे और मध्यवर्गीय व्यक्तियों और छोटे व्यापारियों और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े कंप्यूटर संस्थानों जिन के हालात बेरोजगारी की तरफ हैं उनके लिए त्रिवेंद्र सरकार को केंद्रीय सरकार के साथ मिलकर कुछ दमदार फैसले लेने होंगे ।लिहाजा सियासी जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री अब फटाफटा फैसले लेते दिखेंगे। उन्होंने रिपोर्ट कार्ड के जरिये अटल आयुष्मान योजना, रोजगार, पलायन, गैरसैंण, सुशासन और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस, खेती, किसानी तबादला कानून से जुड़े फैसलों को बड़ी कामयाबी के तौर पर पेश किया। लेकिन यही वे मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर विरोधी हल्ला मचा रहे हैं।कांग्रेस से लेकर तमाम छोटी-बड़ी पार्टियां इन्हें पैनों तीरों में बदलकर अपने तरकश में डाल रही हैं ताकि चुनाव पास आने पर इन्हें छोड़ा जा सके। त्रिवेंद्र और उनकी पार्टी के सामने कोरोनाकाल की बंदिशों के बीच विरोधियों के इन तीरों को नाकाम करने की चुनौती है। मुख्यमंत्री का अंदाज शायद यही बयान कर रहा है कि उन्होंने इस ओर कदम बढ़ा दिए हैं। और इस ओर मंथन शुरू कर दिया है।