चंडीगढ़, 11 अक्टूबर – मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके आस-पास लगते क्षेत्रों में पराली जलाने के मामलों में कमी लाने, टिकाऊ ऊर्जा के लिए धान की पराली का उपयोग करने और 2027 तक फसल अवशेष जलाने को खत्म करने के लिए पराली एक्स-सीटू प्रबंधन नीति हरियाणा 2023 को मंजूरी दी गई।
हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी 2023 बेहरतरीन नीति है। यह नीति धान के भूसे-आधारित परियोजनाओं में निजी निवेश बढाने, किसानों को प्रोत्साहित कर जिम्मेदारी के साथ पराली का उपयोग सुनिश्चित करने और किसानों और उद्योगों के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करने पर ध्यान केन्द्रित करेगी।
इस नीति के कार्यान्वयन से पराली जलाने में कमी होने के साथ ही वायु गुणवत्ता और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होगा और हरियाणा में पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसके अतिरिक्त यह नीति धान के भूसे के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगी। इस नीति से धान के भूसे के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भी एमएसएमई के तहत वित्तीय कई प्रकार के प्रोत्साहन मिलेंगे।
इस नीति का मुख्य ध्येय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके आस-पास के लगते क्षेत्रों में पराली जलाने के मामलों को कम करना है। क्योंकि हरियाणा में हर वर्ष लगभग 30 लाख टन धान की पराली उपलब्ध होती है। धान की पराली से बिजली, बायोगैस, बायो सीएनजी, जैव-खाद, जैव-ईंधन, इथेनॉल उत्पन्न किए जा सकते हैं। किसानों को खेत में पराली काटने, गठ्ठे बनाने और भंडारण करने में भी उपयोगी होगी।
बिजली संयंत्र में उपयोग किये जाने वाले पैलेट बनाने के लिए भी यह नीति कारगर होगी। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा हरियाणा जैव-ऊर्जा नीति 2018 बनाई जा चुकी है। इसमें बायोमास आधारित बिजली परियोजनाएं, कम्प्रेसड बायोगैस संयंत्र, इथेनॉल उत्पादन और प्राथमिक चारा सामग्री के रूप में धान के भूसे का उपयोग करने व अन्य जैव-ईंधन को प्रमुख सामग्री के रूप में शत प्रतिशत धान के भूसे का उपयोग करने वाली परियोजनाओं को सावधि ऋण पर ब्याज व सब्सिडी प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।
इस नीति में धान के भूसे को काटने, एकत्र करने, बेलने, भंडारण करने और भूसे-आधारित उद्योगों और संयंत्रों तक परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले कृषि उपकरणों और मशीनरी पर किसान और संबंधित संगठन सब्सिडी के लिए भी पात्र होंगे।
इस नीति में किसानों, उद्योगों, गौशालाओं, डेयरियों और अंतिम उपयोगकर्ताओं के बीच ऑनलाइन संबंध स्थापित किया जाएगा, जिससे धान की फसल के अवशेषों की मांग और आपूर्ति का कुशल प्रबंधन संभव हो सकेगा। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग, हरियाणा के साथ धान की पराली की मांग की जिलेवार मैपिंग का समन्वय किया जाएगा।
जैव ईंधन को अपनाने वाले उद्योग ईंट भट्टों, कागज उद्योग, कार्डबोर्ड और धान के भूसे का उपयोग करने वाले अन्य व्यवसायों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम विभाग से वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
राज्य के सभी थर्मल पावर प्लांट विद्युत मंत्रालय और हरियाणा सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुपालन में बायोमास सह भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। हरियाणा के अन्दर थर्मल पावर प्लांटों में उपयोग किए जाने वाले पैलेट के लिए बायोमास को किसानों से कृषि और किसान कल्याण विभाग के माध्यम से ऑनलाइन प्राप्त किया जाएगा।
इस नीति के तहत धान की पुआल के आर्थिक उपयोग और इससे जुड़े हानिकारक प्रभावों के बारे में किसानों को शिक्षित करने के लिए संबंधित विभागों द्वारा जागरूकता और शैक्षिक अभियान भी चलाए जाएगें। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा कृषि और किसान कल्याण, उद्योग और वाणिज्य, पर्यावरण और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के सहयोग से यह नीति कार्यान्वित की जाएगी।