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इस्लामाबाद,(विजयेन्द्र दत्त गौतम) : पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इमरान खान सरकार और आतंकवादी संगठनों को बड़ा झटका देते हुए सैन्य अदालतों से दोषी ठहराए गए लगभग 300 आतंकवादियों और उनके मददगारों को जमानत पर रिहा करने के फैसले पर रोक लगा दी। इन सभी को पेशावर हाईकोर्ट से जमानत दे दी गई थी लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ा ऐतराज जाहिर किया है। कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट में सही से पैरवी नहीं किये जाने पर सरकार पर सवाल भी खड़े किये हैं।
पेशावर हाईकोर्ट की एक पीठ 2014 के पेशावर स्कूल हमले में दोषी ठहराए गए 290 आतंकवादियों और उनके मददगारों की अपील पर विचार कर रही है, जो उन्होंने सैन्य अदालतों द्वारा सुनाई गई अपनी सजा के खिलाफ दायर की है। पाकिस्तान की संघीय सरकार ने उच्च न्यायालय से मामले में बड़ी पीठ के गठन का आग्रह किया था, लेकिन मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ ने आग्रह को खारिज कर दिया।
संघीय सरकार इस मामले को उच्चतम न्यायालय ले गई जहां न्यायाधीश मुशीर आलम और काजी अमीन की पीठ ने मामले तथा उच्च न्यायालय को दोषियों को जमानत पर रिहा करने से रोकने के आग्रह वाली याचिका पर सुनवाई की। पीठ ने जमानत के खिलाफ याचिका को स्वीकार कर लिया और पेशावर उच्च न्यायालय को मामले में गुण-दोष के आधार पर आगे बढ़ने का निर्देश दिया। उच्चतम न्यायालय सैन्य अदालतों से दोषी ठहराए गए 70 से अधिक अन्य लोगों की दोषसिद्धि को निरस्त किए जाने के खिलाफ दायर एक अन्य अपील पर भी सुनवाई कर रहा है। बाद में अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद ने दलील दी कि 290 दोषियों को जमानत पर रिहा करने का उच्च न्यायालय का कोई भी फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा को बड़ी क्षति पहुंचाएगा। इमरान सरकार ने 4000 आतंकियों के नाम टेरेरिस्ट वॉचलिस्ट से हटा दिए हैं। एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जुड़े स्टार्टअप ने दावा किया है कि इन 4000 आतंकियों में साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड और लश्कर का ऑपरेशन कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी भी शामिल है। न्यूयॉर्क के एक स्टार्टअप कैसेलम ने दावा किया है कि पाकिस्तान सरकार ने भले ही कितना आतंकवाद विरोधी होने का दावा किया हो लेकिन पिछले डेढ़ साल में ग्लोबल टेरेरिस्ट वॉचलिस्ट से 3800 से ज्यादा आतंकियों के नाम हटा दिए हैं।