चंडीगढ़,(विजयेन्द्र दत्त गौतम): न्यू कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) युवा प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष विवेक हंस गरचा ने कहा कोरोना वायरस के चलते भारत बंद होने से पेरेंट्स की आर्थिक स्थिति जरूरत से ज्यादा ख़राब हो रही है। स्टूडेंट्स घर बैठे हैं लेकिन चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश में प्रशासन पेरेंट्स को तुगलकी फरमान दे रहा है। प्राइवेट स्कूलों की दो महीने की फीस 31 तक अदा किए जाने के आदेश न केवल हैरानी का विषय हैं बल्कि शर्मसार करने वाला वाख्या है।
चंडीगढ़ प्रशासन का एक तरफ़ा फ़ैसला डेढ़ लाख स्टूडेंटस के पेरेंट्स की जेब पर सीधे तौर पर डाका है। हाल ही में कई प्राइवेट स्कूलों द्वारा एनुअल डे फंक्शन की राशि भी स्कूल के सभी बच्चों से वसूली गई, लेकिन कोरोना की दस्तक के कारण वह राशि भी प्राइवेट स्कूल रिफंड करेंगे या नहीं इसकी कोई पुख्ता जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है। एक सेशन गुजर जाने पर सिब्लिंग कन्सेशन भी न देना प्राइवेट स्कूलों का पैसा कमाने का जरिया बन चुका है।
विवेक हंस गरचा ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निंशक व यूटी एजुकेशन डिपार्टमेंट व पंजाब राज्यपाल व चंडीगढ़ प्रशासक वी.पी सिंह बदनोर से मांग करते हुए कहा कि नये सेशन की स्कूल फीस प्राइवेट स्कूल माफ़ करें व सिब्लिंग कन्सेशन भी दें। ऐसा करने से पेरेंट्स को मनोवैज्ञानिक तौर पर राहत मिलेगी। विवेक हंस गरचा ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन लोगों कि परेशानी कम करने की बजाये ओर बढ़ा ही रहा है। पेरेंट्स की परवाह किये बगैर प्रशासन ने प्राइवेट स्कूलों की खातिर अपने आदेश डेढ़ महीने में ही वापिस ले लिये।
प्राइवेट स्कूलों ने मंगलवार को आदेश जारी किया कि प्राइवेट स्कूल अब ट्यूशन फीस ले सकेंगे। 31 मई तक यह फीस देनी होगी। जिसका न्यू कांग्रेस पार्टी [एनसीपी] ने विरोध किया। शर्म की बात है कि शहर के लोगों के बारे में बिना सोचे चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनोर की अप्रूवल के बाद एजुकेशन सेक्रेटरी अरुण कुमार गुप्ता ने ये एकतरफा आदेश जारी किये। विवेक हंस गरचा ने कहा कि प्रशासन द्वारा लोगों के बारे में बिना सोचें समझे ऐसा निर्णय लेना गलत है। प्राइवेट स्कूलों के मुनाफे में होने के बावजूद लॉकडाउन जैसी सिचुएशन में राज्य प्रशासन द्वारा सरासर गलत फैसला लेना जबरदस्ती पेरेंट्स की जेब पर हजारों रूपये की मांग किया जाना एक प्रकार का डाका है।
विवेक हंस गरचा ने कहा कि मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स ने जब चंडीगढ़ के लिए रेगुलेटरी एक्ट लागू किया तो उसमें यह प्रावधान किया गया था कि हर स्कूल को अपनी वेबसाइट पर अपनी बैलेंसशीट, इनकम व खर्चे की जानकारी देनी होगी बैलेंसशीट से यह पता लगेगा कि स्कूल ने सालभर में कितना कमाया और क्या बैंक बैलेंस है। नियमों के हिसाब से स्कूल मुनाफा नहीं कमा सकते। हर स्कूल को 31 मार्च तक की बैलेंसशीट दिखानी है। लेकिन अब तक केवल 15 स्कूल ही ऐसा कर पाये हैं और ये सभी मुनाफे में हैं। एजुकेशन डिपार्टमेंट बैलेंसशीट जमा करवाने के लिए 3 बार तारीख आगे बढ़ा चुका है लेकिन स्कूल मानने को तैयार नहीं।
बेबसी सिर्फ यहां समझिये कि एजुकेशन डिपार्टमेंट अब तक किसी स्कूल को एक शो कॉज नोटिस तक जारी नहीं कर पाया है। स्कूलों के करोड़ों की मुनाफाखोरी पर प्रशासन का एक्शन जीरो दिखाई दे रहा है। जिसके मद्देनज़र न्यू कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) युवा प्रकोष्ठ प्रमुख विवेक हंस गरचा ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरीवाल निंशक से मांग की कि चंडीगढ़ प्रशासन व एजुकेशन डिपार्टमेंट को अपने निजी हस्तक्षेप द्वारा लिये गये फ़ैसले को वापिस लेने को कहा जाये ताकि लॉकडाउन के चलते फीस बढ़ोतरी व 31 तक फीस जमा करवाने के फैसले पर रोक लगाई जा सके।