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नई दिल्ली,(विजयेन्द्र दत्त गौतम) : मुंबई की एक कोर्ट ने टीवी पत्रकार राहुल कुलकर्णी को जमानत देते हुए अपने हालिया आदेश में कहा कि प्रेस को बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी होती है लेकिन यह निरंकुश नहीं हो सकती तथा सार्वजनिक व्यवस्था के हित में विवेकपूर्ण पाबंदियों को अपनाना जरूरी है। पत्रकार कुलकर्णी को उनकी खबर से कथित तौर पर भ्रामक जानकारी प्रसारित होने के मामले में बुधवार को गिरफ्तार किया गया था। आरोप हैं कि उन्होंने खबर दी कि सरकार प्रवासी लोगों के लिए ट्रेन सेवा शुरू करने पर विचार कर रही है जिसके कारण कथित तौर पर मंगलवार को मुंबई के बांद्रा इलाके में भीड़ जमा हो गयी। पी बी येर्लेकर की महानगर मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने गुरुवार को कुलकर्णी को जमानत दे दी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘इस बात में कोई संदेह नहीं है कि प्रेस को बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी होती है। हालांकि इस आजादी को निरंकुश नहीं माना जा सकता।’ सार्वजनिक व्यवस्था के हित में स्वतंत्रता का लाभ उठाते समय विवेकपूर्ण पाबंदियों को अपनाना जरूरी है। आरोपी को अपनी खबर की रिपोर्टिंग करते समय इन पाबंदियों को ध्यान में रखना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मीडिया का आम जनता पर बहुत प्रभाव होता है इसलिए जरूरी है कि खबरें अधिक संवेदनशीलता के साथ तथा अधिक जिम्मेदाराना तरीके से बनाई जानी चाहिए जिनमें उस खबर के परिणामों का पूर्वानुमान भी लगाया गया हो। दालत ने कहा कि आरोपी की खबर से कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो गयी। इसलिए हालात के लिए आरोपी को जिम्मेदार ठहराते हुए पुलिस की कार्रवाई न्यायोचित लगती है। कुलकर्णी पर भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं और महामारी रोग अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस के मुताबिक कुलकर्णी ने कथित तौर पर गलत खबर प्रसारित की थी कि रेलवे महाराष्ट्र में फंसे हुए प्रवासी कामगारों को उनके पैतृक स्थानों तक पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें शुरू करने जा रही है। इस खबर के बाद मंगलवार को बांद्रा स्टेशन पर सैकड़ों प्रवासी मजदूर एकत्रित हो गए जिन्हें बाद में वहां से हटाया गया।