देहरादून,। दिव्य गुरु आशुतोष महाराज (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की दिव्य अनुकंपा से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा एनसीयूआई ऑडिटोरियम और कन्वेंशन सेंटर, अगस्त क्रांति मार्ग, हौज खास, नई दिल्ली में दिव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया। गुरुदेव के प्रबुद्ध शिष्यों द्वारा प्रस्तुत भावपूर्ण भजनों की श्रृंखला ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति और आध्यात्मिक रस से भिगो दिया।
साध्वी परमा भारती ने भजनों के मर्म को उजागर करते हुए समस्त शास्त्र-ग्रंथों में उद्घोषित मानव जीवन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बखूबी समझाया कि सफलता की अंधी दौड़ में मनुष्य मन की शांति को खोता जा रहा है। धन और सफलता द्वारा अर्जित सांसारिक सुख अस्थायी होता है। जब एक भौतिक वस्तु से प्राप्त सुख समाप्त हो जाता है, तो मनुष्य दूसरी वस्तु के पीछे भागने लगता है। अर्थात मनुष्य आनंद की तलाश में निरंतर भागता रहता है। अतः यह अत्यावश्यक है कि अपने जीवन की दिशा को जानने के लिए कुछ पलों के लिए इस भाग-दौड़ को विराम देकर आत्मनिरीक्षण किया जाए। यह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी यदि कहा जाए कि इस समस्त संसार से परे एकमात्र ‘ईश्वर’ ही आनंद का शाश्वत स्रोत है। परंतु यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि शास्त्रों के अनुसार शाश्वत आनंद के स्रोत (‘परमेश्वर’) तक पहुँचने के लिए भक्ति के उसी मार्ग का अनुसरण करना होगा जिसका प्राचीन काल के संतों ने किया था। वह मार्ग जो सभी के लिए एक है ‘समय के पूर्ण सतगुरु की शरणागत होना।’ अतः अहम प्रश्न यह उठता है कि हम कौन से संत-महापुरुष की शरण में जाएँ? इसका उत्तर शास्त्रों में वर्णित है कि जिसने स्वयं ईश्वर को देखा हो और जो आपके अंतःकरण में ईश्वर का दर्शन करवा दे वही आपको ईश्वर तक पहुँचा सकता है।
ब्रह्मज्ञान से विश्व में शांति संभव
Related Posts
पौड़ी बस हादसे के बाद जनता आक्रोशित
5 / 100 Powered by Rank Math SEO पौड़ी गढ़वाल,। उत्तराखंड में बदहाल स्वास्थ्य सिस्मट की पोल समय-समय पर खुलती रहती है। बावजूद इसके न तो स्वास्थ्य विभाग और न…
निकाय चुनाव प्रचार के लिए सीएम धामी ने संभाला मोर्चा
5 / 100 Powered by Rank Math SEO टिहरी गढ़वाल,। प्रदेश में निकाय चुनाव के मद्देनजर तमाम राजनीतिक दल धुआंधार प्रचार में जुटे हुए हैं। सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह…