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कुल्लू,(विजयेन्द्र दत्त गौतम): मनाली-लेह मार्ग यातायात के लिए बहाल हो गया है। दर्रे के दोनों छोर मिलते ही दुनिया का सबसे रोमांचक व ऊंचा मार्ग बहाल हो गया है। मार्ग बहाल होने से सेना की रसद आदि को कारगिल आदि क्षेत्रों में पहुंचाने में आसानी होगी। बीआरओ ने विपरीत परिस्थितियों के बाबजूद पिछले साल की अपेक्षा मार्ग को तीन सप्ताह पहले ख्लने में सफलता पाई है। गत वर्ष यह दर्रा 10 जून को बहाल हुआ था। बीआरओ ने पांच बर्फीले दर्रों की आसमान छूती दीवारों को पिघलाया है। दुनिया के सैलानियों की पहली पसंद रहने वाले 13050 फीट ऊंचे रोहतांग दर्रे सहित 16000 फीट ऊंचे बारालाचा ला दर्रे, 15580 फुट ऊंचा नकीला और 16500 फीट ऊंचा लाचुंगला दर्रे और साढ़े 17 हजार फीट तांगलांग ला दर्रे में खड़ी ऊंची बर्फ की दीवार को पिघलाकर अपना लक्ष्य हासिल किया।

अब जल्द ही भारतीय सेना मनाली सरचू लेह मार्ग में अपनी आवाजाही शुरू कर देगी। बीआरओ की लेह स्थित हिमांक परियोजना ने सरचू तक सड़क को पहले ही बहाल कर लिया था। मनाली स्थित दीपक परियोजना के जवान दोनों तरफ से बारालाचा दर्रे की बहाली में जुटे थे। बारालाचा दर्रे में हो रही बर्फ़बारी के कारण वाहनों की आवाजाही एक दो दिनों के भीतर ही संभव होगी। लेह जाने के लिए दारचा में वाहनों की कतारें लगना शुरू हो गई है।

बीआरओ कमांडर कर्नल उमा शंकर ने बताया कि पहली बार उन्होंने सरचू में अस्थाई कैंप स्थापित कर बारालाचा दर्रे पर दोनों ओर से चढ़ाई की है। बीआरओ ने विकट परिस्थितियों में भी पिछले साल की अपेक्षा लगभग तीन सप्ताह पहले सफलता पाई है। टीम का हौंसला बढ़ाने बीआरओ की दीपक परियोजना के चीफ इंजीनियर ब्रिगेडियर एमएस बाघी बारालाचा पहुंच गए हैं। उन्होंने कमांडर कर्नल उमा शंकर सहित बीआरओ की समस्त टीम को बधाई दी तथा उनका मनोबल बढ़ाया।