देहरादून,। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के नाक कान गला रोग विभाग के द्वारा 7 माह के बच्चे की सफल कॉक्लर इम्प्लांट सर्जरी की गई। उत्तराखण्ड में किसी बच्चे के सबसे कम उम्र में कॉकलियर इम्पलांट सर्जरी होने का यह पहला मामला है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में अब तक 121 बच्चों की सफल कॉक्लर इम्प्लांट सर्जरी की जा चुकी हैं। यह उत्तराखण्ड के किसी भी मेडिकल कॉलेज, अस्पताल में हुई सर्वाधिक कॉक्लर इम्प्लांट सर्जरी का आंकड़ा भी है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने नाक कान गला रोग विभाग के डॉक्टरों व स्टाफ की पूरी टीम को बधाई दी।
देहरादून निवासी बेबी देवश्री को जन्मजात न सुनने की समस्या थी। मेडिकल साइंस में इसे डैफम्यूटिज्म कहते हैं। जब माता-पिता को बच्चे की इस परेशानी के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने श्री महंत इन्दरेश अस्पताल के नाक कान गला रोग विभाग में सम्पर्क किया। नाक कान गला रोग विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ त्रिप्ती ममगाईं ने देवश्री की कॉक्लर इम्प्लांट सर्जरी की। इस मामले की खास बात यह भी रही कि देवश्री के माता पिता बीमारी के बारे में बेहद जागरूक थे। उन्होंने बिना समय गवाएं डॉक्टरी परामर्श लिया। सफल कॉक्लर इम्प्लांट के बाद बच्ची सुनने लगी है। देवश्री के माता पिता नेे सफल कॉक्लर इम्प्लांट के बाद श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल, डॉ त्रिप्ती ममगाईं और उनकी पूरी टीम का आभार व्यक्त किया।
डॉ त्रिप्ती ममगाईं ने जानकारी दी कि ईएसआई, सीजीएचएस, ईसीएचएस के कार्डधारकों के लिए भी सुविधा उपलब्ध है। इन सम्बन्धित योजनाओं के अन्तर्गत नियमानुसार किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति कैशलैस कॉकलियर इम्प्लांट योजना का लाभ ले सकते हैं। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में अब तक 121 रोगियों का निःशुल्क कॉक्लर इम्प्लांट किया जा चुका है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में एडिप स्कीम (एसिस्टेंस टू डिसेबल पर्संस) के अन्तर्गत 5 साल तक के बच्चों के लिए निःशुल्क कॉकलियर इम्प्लांट सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। जिन बच्चों बोलने या सुनने में परेशानी है, कान की मशीन लगाने के बावजूद भी सुनाई नहीं देता है ऐसे किसी भी आयु वर्ग के मरीज़ कॉकलियर इम्प्लांट के बारे में प्लान कर सकते हैं। कैश उपचार में कॉकलियर इम्प्लांट का व्यय लगभग 6.5 लाख रुपये एवम् उपचार दवाईयां मिलाकर लगभग 7 से 7.5 लाख रुपये तक आ जाता है।
महंत इन्दिरेश अस्पताल में 7 माह की बच्ची का सफल कॉक्लर इम्प्लांट
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