ऋषिकेश: मासिक धर्म स्वास्थ्य एवं जागरूकता के लिये 5 फरवरी, वर्ष 2019 को भारत में पहली बार ’’ हैप्पी पीरियड्स डे’’ मनाया गया था। इस दिवस के लिये 5 फरवरी को इसलिये चिह्नित किया गया क्योंकि पीरियड् (मासिक धर्म) का समय चक्र 28 दिनों का होता है और औसतन 5 दिनों तक रक्त स्राव होता है चूंकि फरवरी माह भी 28 दिनों का होता है यही वज़ह है कि 5 फरवरी को ’’हैप्पी पीरियड्स डे’’ मनाया जाता है।
मासिक धर्म से पूरा भारतीय समाज परिचित है क्योंकि बेटियां, मातायें और बहनें हर महीने मासिक चक्र से गुजरती है। जब शिशु (लड़का, लड़की या थर्ड जेन्डर) गर्भस्थ होता है व उसका जन्म होता है उसमें मासिक धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका होती है फिर भी समाज का एक बड़ा वर्ग इसे अनदेखा करता है। मासिक धर्म को लेकर समाज में अनेक भ्रान्तियाँ फैली है जिसके कारण महिलाओं की गरिमा, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता सब कुछ प्रभावित हो रहा है।
5 फरवरी ’’हैप्पी पीरियड्स डे’’ मनाने का तात्पर्य है कि मासिक धर्म एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है। लडकियां जब युवा अवस्था में प्रवेश करती है तो उनमें कई शारीरिक, मानसिक, जैविक बदलाव होते हैै मासिक धर्म भी उन्ही बदलावों में से एक हैं। इसे सामान्य बनाने के लिये पूरे समाज को आगे आना होगा। मासिक धर्म को शर्म, भय और भ्रान्तियों से मुक्त बनाने के लिये आईये हम सब आज के दिन खून के धब्बे की तरह अपने हाथ पर एक लाल धब्बा लगायें और मासिक धर्म की उन 5 दिनों की अवधि को सुरक्षित और आनंदमय ( हैप्पी एंड सेफ पीरियड्स) बनाने में सहयोग प्रदान करें।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि बेटियों के शरीर में होने वाले एक सामान्य और स्वाभाविक बदलाव को लेकर हमारे समाज में जो चुप्पी हैं उससे उनकी गरिमा, शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास प्रभावित हो रहा हैं उस पर चुप्पी तोड़ने का समय आ गया है। आईये मासिक धर्म पर व्याप्त इस चुप्पी को तोड़े और बेटियों के जीवन को सुरिक्षत और गरिमामय बनाने में अपना योगदान प्रदान करें।
जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने देश की नारी शक्ति को ’’हैप्पी पीरियड्स डे’’ पर शुभकामनायें देते हुये कहा कि नो पीरियड्स नो लाइफ, अगर मासिक धर्म नहीं होगा तो महिलायें संतान को जन्म नहीं दे सकती। कोई भी स्त्री न तो मासिक धर्म (रजोदर्शन) होने से पहले शीशु को जन्म दे सकती है और न मासिक धर्म (रजोनिर्वति) समाप्त होने के बाद इसलिये यह पीरियड् की ब्लीडिंग केवल ब्लीडिंग नहीं परमात्मा की ब्लेसिंग है इस पर हमें शर्म नहीं गर्व होना चाहिये।
परमार्थ निकेतन गंगा तट पर सुश्री गंगा नन्दिनी, शास्त्रिय भक्ति गायक सूर्यगायत्री और श्रीमती पी के दिव्या ने अपने हाथ पर एक लाल धब्बा लगाकर सभी को ’’हैप्पी पीरियड्स डे’’ की शुभकामनायें दी।
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