विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश के आंगनवाड़ी वर्करों को जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति घर तक करने के काम पर लिए जाने का विचार चल रहा है, लेकिन इन वर्करों को काम पर लिए जाने पहले इनकी पारिवारिक व आर्थिक स्थिति पर गौर करना चाहिए कि सरकार इनको प्रतिमाह कितना मेहनताना दे रही है।
   नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा मिनी आंगनवाड़ी वर्करों, सेविकाओं तथा कार्यकत्रियों को क्रमशः 2750, 3500, 7500 रुपए मानदेय दिया जाता है। वहीं, दूसरी ओर सरकारी कर्मचारी, जोकि 50,000 से 1,00,000 तक वेतन के साथ बीमा इत्यादि सभी सुविधाओं से लैस हैं, उनको जिम्मेदारी देने से  क्यों डर रही है। इस महामारी में सहयोग करने के दौरान कोई अनहोनी होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा, तथा सरकार इनको क्या मदद करेगी। उक्त सभी परिस्थितियों के मद्देनजर सरकार को वर्करों का बीमा इत्यादि करना चाहिए। नेगी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि सरकार को मुसीबत के समय इन गरीब वर्करों की याद आ रही है, जब इन्होंने पूरी सर्दियों में अपनी मांगों को लेकर 2 महीना से अधिक समय तक आंदोलन किया, तब सरकार को इनकी याद नहीं आई। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि इन वर्करों की पुख्ता सुरक्षा (पारिवारिक व आर्थिक) की गारंटी ले।