नई दिल्ली ,(विजयेन्द्र दत्त गौतम): लोक डाउन में इंटरनेट अपराधी आर्थिकी को निशाना बना सकते हैं । रिपोर्ट के अनुसार साईबर अपराधी मोबाईल और कंप्यूटर पर इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न इंटरनेट एप्लीकेशन के जरिये नए वायरस ईजाद कर सकते हैं । जिससे बैंकों के डाटा और अन्य गोपनीय सूचनाओं की चोरी हो सकती है, हांलाकि लोक डाउन के दौरान लगभग सभी बैंक अपने सभी ग्राहकों को इंटरनेट और मोबाईल फोन के माध्यम से किसी को भी अपनी गोपनीय जानकारी सांझा ना किए जाने बावत लगातार आगाह कर रहे हैं । एक्सपर्ट विशेषज्ञों के अनुसार चूँकि इस समय तमाम दुनिया लोक डाउन के दायरे में है और इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न एप्लीकेशन का इस्तेमाल लोगों के मनोरंजन और कार्यक्षेत्र का केंद्र है । ऐसे में हैकर्स नए तरीके ईजाद कर आर्थिकी को नुक्सान पहुंचा सकते हैं । देश की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ने मोबाइल फोन पर इंटरनेट का प्रयोग करने वाले सभी लोगों को ‘स्पाईवेयर और रैनसमवेयर’ के खिलाफ सतर्कता बरतने का सुझाव दिया है। एजेंसी ने कहा कि कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण मोबाइल फोन पर इंटरनेट का इस्तेमाल और साथ-साथ साइबर धोखाधड़ी सहित अन्य अपराधों का खतरा भी बढ़ा है। मालवेयर वास्तव में 1970 के दशक के बाद से व्यक्तियों और संगठनों के लिए खतरा बना हुआ है जब क्रीपर वायरस पहली बार सामने आया था। तब से, दुनिया सैकड़ों विभिन्न मालवेयर वेरिएंटों के हमले से गुजर रही है, सभी संभव के रूप में सबसे अधिक व्यवधान और क्षति का कारण है। मैलवेयर कई दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर वेरिएंट का सामूहिक नाम है, जिसमें वायरस, रैंसमवेयर और स्पाईवेयर शामिल हैं। यह वायरस डाटा चोरी करने और वायरस फैला कर उपकरण, डाटा और एप्लिकेशन को खराब करने के लिए प्रयोग किया जाता है । जानकारी के अनुसार स्थानीय हैकर्स चोरी के उद्देश्य से इंटरनेट के रास्ते लोगों के अकाउंट में सेंध लगाते हैं । जबकि पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश डाटा व गोपनीय सूचनाएं हैक कर हमारी आर्थिकी को नुक्सान पहुचाने के उद्देश्य से साईबर जगत के अपराध करतें हैं । राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि साइबर अपराधी मोबाइल फोन के जरिए मैलवेयर, स्पाईवेयर और रैनसमवेयर फैलाने की जुगत में हैं।