नई दिल्ली : सेना ने 132 साल बाद सैन्य फार्म औपचारिक रूप से बंद कर दिए जो सैनिकों को गायों का स्वास्थ्यप्रद दूध उपलब्ध कराने के लिए स्थापित किए गए थे। अधिकारियों ने बताया कि इन्हें बंद करने से संबंधित समारोह का आयोजन दिल्ली छावनी में मिलिटरी फार्म्स रिकॉर्ड्स में किया गया।

सैन्य आधुनिकीकरण के तहत लिया फैसला
रक्षा मंत्रालय ने अगस्त 2017 में कई सुधारों की घोषणा की थी कि जिनमें सैन्य फार्म को बंद करना भी शामिल था। इन फार्म की स्थापना सेना की इकाइयों को दूध की आपूर्ति के लिए ब्रिटिश काल में की गई थी। सेना ने एक बयान में कहा, ‘‘राष्ट्र की 132 साल तक शानदार सेवा करने के बाद इस संगठन को बंद किया जा रहा है।’’

3.5 करोड़ लीटर दूध की होती थी आपूर्ति
इसने कहा कि सैन्य फार्म ने एक सदी से अधिक समय तक सैन्य समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ 3.5 करोड़ लीटर दूध की आपूर्ति की। बयान में कहा गया कि वर्ष 1971 के युद्ध के दौरान पश्चिमी तथा पूर्वी युद्ध मोर्चों पर सेवा प्रदान करते हुए दूध की आपूर्ति के साथ-साथ कारगिल युद्ध के समय उत्तरी कमान में इसका संचालन कार्य उल्लेखनीय रहा है।

सेना की जमीन की देखभाल भी था मकसद
सेना ने कहा कि 1990 के दशक के अंत में लेह और कारगिल में भी दैनिक आधार पर सैनिकों को ताजा और स्वच्छ दूध की आपूर्ति के उद्देश्य के साथ सैन्य फार्मों की स्थापना की गई थी। इसका एक अन्य प्रमुख कार्य सैन्य भूमि के बड़े इलाके की देखभाल करना। इन फार्म में रखे गए मवेशियों को सेना ने बहुत ही साधारण मूल्य में अन्य सरकारी विभागों या सहकारी डेयरियों को देने का फैसला किया है।

सेना ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद पूरे भारत में 30 हजार मवेशियों के साथ 130 सैन्य फार्म बनाए गए थे। पहला सैन्य फार्म 1 फरवरी 1889 को इलाहाबाद में स्थापित किया गया था। ये सैन्य फार्म लगभग 20 हजार एकड़ भूमि पर फैले थे और सेना इनके रखरखाव पर सालाना लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च करती थी।