हरिद्वार(Amit Kumar)  देवभूमि सिविल सोसायटी का धरना शनिवार को 20वें दिन में प्रवेश कर गया। कार्यकर्ताओं ने धरना स्थल पर मूंह पर काली पट्टी बांधकर शराब कारखानों को बंद करने की मांग की। देवभूमि सिविल सोसायटी द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में शराब कारखाने लगाए जाने के विरोध में चलाए जा रहे आंदोलन व धरने लगातार सामाजिक संगठनों एवं संत समाज का समर्थन मिल रहा है। महाराज गोपालदास तथा वृन्दावन के अशोकानंद, जेपी पाण्डे, हरद्वारी लाल, अमजद अली, सुनील अग्रवाल, नरेंद्र सिंह, चमन गिरी, भागवताचार्य पवन कृष्ण शास्त्री व पंडित मयंक शर्मा ने धरने को अपना समर्थन दिया। सामाजिक सेना के प्रमुख विनोद महाराज ने कहा कि सरकार की शराब समर्थक नीति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार को संतों व आमजन की भावना का सम्मान करना चाहिए। गंगा की पवित्रता बनाए रखने तथा युवाओं की नशे की लत से बचाने के लिए शराब कारखाने लगाने की नीति को बदलना चाहिए। गोपालदास महाराज व पवन कृष्ण शास्त्री ने कहा कि सरकार असंवेदनहीनता का परिचय दे रही है। बीस दिन बीत जाने के बाद भी अब तक प्रदेश में शराब कारखाने लगाने को लेकर कोई भी कार्यवाही सुनिश्चित नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता, स्वच्छता को लेकर सरकार वादे तो करती है। लेकिन प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में शराब कारखाने लगाए जाने की नीति बना रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में प्रदेश में शराब कारखाने बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। जेपी पाण्डे व हरद्वारी लाल ने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार को अपने निर्णय पर पुनः विचार करना चाहिए। प्रदेश में शराब कारखाने लगेंगे तो गंगा की पवित्रता भी नष्ट होगी। पंडित अधीर कौशिक व जेपी बड़ोनी ने कहा कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा। जब तक सरकार शराब कारखाने लगाने के अपने निर्णय को वापस नहीं लेती है। धर्मनगरी का संत जागरूक है। वह किसी भी सूरत में शराब कारखानों को प्रदेश में नहीं लगने देगा। उन्होंने कहा कि संत समाज की मान मर्यादाओं को भी ताक पर रखकर शराब कारखाने लगाने की तैयारी सरकार कर रही है। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गूंगी बहरी सरकार जनता के हितों में सही फैसले नहीं ले रही है। शराब के सेवन से प्रदेश भर में सैकड़ों मौते हो चुकी हैं। देवभूमि के स्वरूप को बिगाड़ने का काम शराब द्वारा किया जा रहा है। चरणजीत पाहवा व सरिता पुरोहित ने कहा कि शराब कारखाने किसी भी सूरत में नहीं लगने चाहिए। सरकार अगर सुध नहीं लेती है तो पूरे भारत में मां गंगा को बचाने के लिए आंदोलन चलाए जाएंगे।