मसूरी से मनीष गंगोली की रिपोर्ट
पिछले काफी सालों से मसूरी के मजदूरों को बड़ी आवादी शिफन कोट गाँधी चौक समीप रहती है।लेकिन इस इलाके में रहने वाले 84 परिवार २४ अगस्त को प्रशासन नगर पालिका द्वारा सवेरे ही बेघर कर दिए जाने का आदेश पारित कर दिया है ।.हाई कोर्ट ने माना है कि इन परिवारों का निवास करना सरकारी भूमि पर अतिक्रमण है।
गौरतलब है कि २०१८ में उच्चन्यालय में पालिका द्वारा सरकारी भूमि पर रहने वाले सभी परिवारों पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया था जिसका १७ अगस्त को हाई कोर्ट ने आदेश देकर सभी परिवारों को शिफन कोट से हटाने के निर्देश दिया है जिसके लिए 23 अगस्त को उपजिला अधिकारी के नेर्ततुव में अधिशाषी अधिकारी पालिका, पुलिस क्षेत्रीय अधिकारी मसूरी,पुलिस प्रभारी कोतवाली सरकारी अमले ने मौके पर पहुंच कर उन्हें सरकारी जमींन खाली करवाने के आदेश देदिए है. दूसरी तरफ उन सभी 84 परिवारों को वेकल्पिक व्यवस्था के लिए गुरुद्वारा और लक्छमी नारायण मंदिर में रहने की व्यवस्था की गई। जिन्हें २४ अगस्त को पुलिस फोर्ष की देख रेख में हटाया जायगा ।
स्थानीय निवासियों के मुताबिक जो पिछले 25 वर्षों से यहाँ बसे है सभी राजनीतिक पार्टियां उन्हें वोट बेंक की तरह इस्तेमाल करते रहे है। राजनैतिक दलों के लोगों ने उनको पक्के घर बनाने के लिए बोल दिया था। सभी दलों ने सिर्फ उनका वोट के रूप में उपयोग किया ।आज यह बेघर होने की स्थिति में है कोर्ट के आदेश आ चुके हैं। आज उनकी मदद कौन करेगा।
आशुतोष सती अधिशासीअधिकारी पालिका के मुताबिक इन परिवारों को प्रशासन के अधिकारीयों की देख रेख में हटाया जाएगा । इन परिवारों के रहने की व्यवस्था मंदिर गुरुद्वारा में की गई है।