देहरादून,। उत्तराखंड का गठन जिन उद्देश्यों को लेकर हुआ था, उसके मूल में जनसुलभ एवं गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार भी शामिल था। विगत 25 वर्षों में राज्य सरकार ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद स्वास्थ्य सुविधाओं का जाल प्रदेश के कोने-कोने तक फैला। राज्य सरकार ने सुदूरवर्ती एवं दुर्गम क्षेत्रों में चिकित्सकों की नियुक्ति कर आम जनता को स्थानीय स्तर पर उपचार मुहैया कराया। स्वास्थ्य उपकेन्द्रों से लेकर जिला अस्पतालों को आधुनिक संसाधनों से लैस किया गया, जिससे ग्रामीण अंचलों में भी बेहतर चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित हो सकी है।
राज्य में चिकित्सा सुविधाओं की गुणवत्ता सुधारने तथा चिकित्सा इकाईयों में एकरूपता स्थापित करने के लिये आईपीएचएस मानकों को लागू किया गया। उक्त मानकानुसार वर्तमान में 13 जिला चिकित्सालय, 21 उप जिला चिकित्सालय, 80 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 525 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र टाईप-ए, 52 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र टाईप-बी, 25 अन्य चिकित्सा इकाईयां तथा 1998 मातृ शिशु कल्याण केन्द्र (उपकेन्द्र) स्थापित हैं। जहां पर आम जनमानस को सुलभ चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अतिरिक्त 06 उप जिला चिकित्सालय, 06 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 09 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के उच्चीकरण को सरकार ने स्वीकृति प्रदान की है, जिनके निर्माण एवं संचालन की कार्यवाही गतिमान है। इसके अलावा 100 शैय्यायुक्त मानसिक चिकित्सालय क्रमशः सेलाकुई देहरादून व गेठिया नैनीताल में निर्माणाधीन हैं। आईपीएचएस मानकों के अनुरूप चिकित्सा इकाईयों में एलोपैथिक चिकित्साधिकारी, फार्मासिस्ट, डीआरए/फिजियोथैरेपिस्ट एवं नेत्र सहायक संवर्गों का चिन्हिकरण किया जा चुका है। शेष संवर्गों की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। जबकि भारत सरकार के सहयोग से जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी, गोपेश्वर, बागेश्वर तथा उप जिला चिकित्सालय रूड़की में 200 शैय्यायुक्त जबकि उप जिला चिकित्सालय मोतीनगर, हल्द्वानी, नैनीताल में 50-50 शैय्यायुक्त क्रीटीकल केयर ब्लॉक का निर्माण गतिमान है। देश में पहली बार हेली एम्बुलेंस सेवा का संचालन एम्स ऋषिकेश के सहयोग से किया जा रहा है।
राज्यभर की चिकित्सा इकाईयों में आधुनिक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराये गये हैं ताकि मरीजों की सटीक जांच हो सके। वर्तमान में सभी जिला अस्पतालों में प्रमुख रूप से सीटी स्कैन मशीन, अल्ट्रासाउण्ड मशीन व एक्स-रे मशीन स्थापित की गई है। जबकि समस्त उप जिला चिकित्सालयों में अल्ट्रासाउण्ड मशीन व एक्स-रे मशीन उपलब्ध है। इसके अलवा जिला चिकित्सालय हरिद्वार व पौड़ी के बेस चिकित्सालय, कोटद्वार में एमआरआई मशीन स्थापित की गई है। इसके साथ ही जिला चिकित्सालय देहरादून व बेस चिकित्सालय, हल्द्वानी में मैमो ग्राफी मशीन भी स्थापित है।
विगत 25 वर्षों में सरकार ने चिकित्सकों की कमी को दूर कर सुदूरवर्ती चिकित्सा इकाईयों में भी चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टॉफ की तैनाती की। जिससे आम लोगों को स्थानीय स्तर पर उपचार सुलभ हो पाया। राज्य गठन के समय स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत पीएमएचएस संवर्ग में चिकित्सा अधिकारियों के 1621 पद स्वीकृत थे, सरकार ने 1264 और पदों को स्वीकृत कर प्रदेश के चिकित्सालयों में डॉक्टरों की संख्या में इजाफा किया। वर्तमान में चिकित्सकों के कुल 2885 पद सृजित हैं। समय-समय पर सरकार ने रिक्त पदों को भर कर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया। वर्तमान में चिकित्सकों के बैकलॉग के 220 पदों को भर कर दुर्गम चिकित्सा इकाईयों में चिकित्सकों को तैनाती दी गई। इसके अलावा विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को देखते हुये चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से 65 वर्ष कर दी गई है। स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के उद्देश्य से सरकार ने कड़ा रूख अपनाकर लम्बे समय से गायब 56 चिकित्सकों को बर्खास्तगी का रास्ता भी दिखाया।
राज्य सरकार ने 1399 नर्सिंग अधिकारियों की बम्पर भर्ती कर अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत किया। राज्य गठन के दौरान एएनएम के 1933 पद स्वीकृत थे, जिनमें 362 पदों की वृद्धि की गई। वर्तमान में एएनएम के स्वीकृत पदों की संख्या 2295 है। विगत 25 वर्षों में सरकार द्वारा एएनएम के 1918 पदों पर भर्ती की जा चुकी है। इसके अलावा चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से 34 एक्स-रे टेक्नीशियन सहित अन्य पैरामेडिकल स्टॉफ की भर्ती भी की गई।
सूबे के स्वास्थ्य क्षेत्र में 108 आपातकालीन सेवा ने नया मोड़ लाया। आपात स्थिति में लोगों को तत्काल एम्बुलेंस उपलब्ध होने से यह सेवा आम लोगों के लिये संकटमोचक साबित हुई। वर्ष 2008 से संचालित 108 आपातकालीन सेवा में वर्तमान में 272 एम्बुलेंस का बेड़ा है। जिसमें 217 बीएलएस, 54 एएलएस व एक बोट एम्बुलेंस शामिल है। वर्ष 2019 से अगस्त 2025 तक कुल 879105 लाभार्थियों को 108 आपातकालीन सेवा प्रदान की गई, जो कि एक रिकॉर्ड है।
प्रदेश में लोक निजी सहभागिता के माध्यम से आम लोगों को कई स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जा रही है। जिसमें डायलिसिस, कार्डिक केयर, टीबी टेस्टिंग आदि शामिल है। राज्य में लोक निजी सहभागिता के तहत नेफ्रो डायलिसिस यूनिट क्रमशः जिला चिकित्सालय देहरादून, सोबन सिंह जीना बसे चिकित्सालय हल्द्वानी में स्थापित की गई है। जहां पर बीपीएल व एचआईवी रोगियों को निःशुल्क डायलिसिस सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। वर्तमान में कोरोनेशन अस्पताल में 23 व सोबन सिंह जीना अस्पताल में 25 डायलिसिस मशीन क्रियाशील है। मार्च 2017 से 31 अगस्त 2025 तक कुल 338424 रोगियों को डायलिसिस सुविधा प्रदान की गई। इसके अलावा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत सभी 13 जनपदों में 19 डायलिसिस केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में इन केन्द्रों पर कुल 46958 डायलिसिस सत्र के द्वारा 1183 गुर्दे के मरीजों को उपचार दिया गया। राज्य के जनमानस को कार्डियक सुविधा उपलब्ध कराने के लिये जिला चिकित्सालय कोरोनेशन देहरादून में कार्डियक केयर यूनिट का संचालन किया जा रहा है। जहां पर मार्च 2022 से अगस्त 2025 तक कुल 61125 रोगियों को कार्डियक सुविधा प्रदान की गई।
प्रदेश के वीपीएल श्रेणी के परिवार के लोगों को राज्य व्याधि सहायता निधि समिति द्वारा 11 घातक बीमारियों के उपचार के लिये आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। वर्ष 2005-06 से वर्तमान तक 1045 इस निधि से लाभान्वित किया गया। जिस पर 12 करोड़ 85 लाख से अधिक का व्यय किया जा चुका है। आम लोगों को सस्ती व गुणवत्तापरक जैनरिक दवा उपलब्ध कराने के लिये प्रदेशभर में जन औषधि केन्द्रों की स्थापना की गई। वर्तमान में कुल 335 प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र स्थापित हैं। जबकि 48 जन औषधि केन्द्र प्रस्तावित हैं।
राज्य में टीबी उन्मूलन को लेकर जोरदार अभियान चलाया गया। जिसके फलस्वरूप प्रदेश की 2182 पंचायतें टीबी मुक्त हो चुकी है। इस अभियान के तहत जिम्मेदार लोगों ने आगे आकर निःक्षय मित्र की भूमिका निभाई। प्रदेश में अबतक कुल 18159 निःक्षय मित्र बनाये गये। वर्तमान में 8658 निःक्षय मित्रों द्वारा टीबी मरीजों को गोद लेकर सहयोग किया जा रहा है।
प्रत्येक वर्ष चार धाम व कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों के लिये बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध की जाती है। चारों धामों व यात्रा मार्गों पर विशेषज्ञ चिकित्सकों सहित चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टॉफ की तैनाती की जाती है। साथ ही ऑक्सीजन सिलेंडर सहित सभी जीवनरक्षक उपकरणों व दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध की जाती है। तीर्थ यात्रियों को स्वास्थ्य संबंधी कोई दिक्कत न हो इसके लिये कुल 13 भाषाओं में स्वास्थ्य एडवाइजरी जारी की जाती है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि राज्य सरकार का संकल्प है कि प्रदेश के प्रत्येक नागरिकों को स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो। आने वाले समय में स्वास्थ्य क्षेत्र में नवाचार, डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा सुविधाओं की दिशा में और ठोस कदम उठाये जायेंगे।
25 वर्षों में सुधरी राज्य की सेहत, सुलभ हुई स्वास्थ्य सुविधाएं
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