देहरादून,। देहरादून में जन्मी और पली-बढ़ी 73 वर्षीय पुनीता भूषण नागालिया ने यह साबित कर दिया है कि उम्र केवल एक संख्या है। पिछले 50 वर्षों से बैडमिंटन खेल रहीं भूषण आज भी एक सक्रिय महिला खिलाड़ी हैं। 1972 से अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाली और 1976 से भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली भूषण ने अपने खेल से कई उपलब्धियां हासिल की हैं। उत्तर प्रदेश (जिसमें उस समय उत्तराखंड शामिल था) के लिए पांच वर्षों तक राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकीं भूषण ने 1994 में ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में आयोजित वर्ल्ड मास्टर गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया और कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया।
उत्तराखंड राज्य बैडमिंटन संघ चयन समिति की उपाध्यक्ष और सभापति पुनीता भूषण खेल के प्रति अपने जुनून और समर्पण के लिए जानी जाती हैं। उनके अनुसार, बैडमिंटन उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा है। बातचीत में उन्होंने अपने माता-पिता को अपनी सफलता का श्रेय दिया। उन्होंने सभी खिलाडियों को संदेश दिया की, ष्हर हार से आप कुछ नया सीखते हैं। पदक और पुरस्कार राशि से परे जाकर खेल को समझें और उसका आनंद लें।ष् भूषण ने पिछले कई दशकों में खेल में आए परिवर्तनों पर बात की। उन्होंने बताया कि अब माता-पिता अपने बच्चों को खेल में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। कोचों की संख्या बढ़ी है, प्रशिक्षण केंद्रों में सुधार हुआ है, और खेल संरचना में बहुत कार्य हुआ है। जब उनसे पूछा गया कि इस उम्र में उन्हें प्रेरणा कहां से मिलती है, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, मेरा खेल ही मेरी प्रेरणा है। 38वें राष्ट्रीय खेल के प्रतिभागियों को उन्होंने संदेश देते हुए कहा, ष्हमारे खूबसूरत उत्तराखंड में आपका स्वागत है। अपनी पूरी मेहनत से खेलें और खेल का आनंद लें।ष् 73 वर्षीय पुनीता भूषण हर खिलाड़ी के लिए एक प्रेरणा हैं। 38वें राष्ट्रीय खेल के इस प्रेरणादायक संदेश के साथ, वह हर एथलीट के लिए आदर्श बनी हुई हैं।
73 वर्षीय पुनीता भूषण नागालिया खेल के प्रति जुनून का प्रेरणास्रोत
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