NEW DELHI,(विजयेन्द्र दत्त गौतम) : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र  से कहा है कि कोरोनावायरस लॉकडाउन अवधि के दौरान ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना को अपनाने के लिए ‘अस्थायी रूप से’ की व्यावहारिकता पर विचार करे।  केंद्र सरकार की योजना इस साल जून में शुरू होने वाली है।  उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र से कहा है कि वह ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना अपनाने की संभावना पर विचार करे ताकि कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में लागू लॉकडाउन के दौरान पलायन करने वाले कामगारों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को रियायती दाम पर खाद्यान्न मिल सके।  आपको बता दें कि ‘एक देश, एक राशन कार्ड’ मोदी सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत पूरे देश में पीडीएस धारकों को देश के किसी भी कोने में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से उनके हिस्से का राशन मिल सकेगा।

उपभोक्ताओं के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार में भी एक जून से ही इस योजना को लागू करने की तैयारी है।  इसके साथ ही उत्तराखंड, ओडिशा और हिमाचल प्रदेश में भी इस योजना को शुरू करने की तैयारी है।  वन नेशन वन राशन कार्ड, मोदी सरकार, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, यूपी, वन नेशन वन राशन कार्ड के फायदे, नरेंद्र मोदी, इस योजना को पूरे देश में लागू करने के लिए सभी पीडीएस दुकानों पर पीओएस मशीनें लगाई जाएंगी।  सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही अधिवक्ता रीपक कंसल के आवेदन का निस्तारण कर दिया।  कंसल ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की वजह से अलग अलग स्थानों पर फंसे कामगारों और दूसरे नागरिकों के लाभ के लिये योजना शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।  याचिका में याचिकाकर्ता ने कोरोनावायरस महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों, लाभार्थियों, राज्यों के निवासियों और पर्यटकों के हितों की रक्षा करने और उन्हें रियायती खाद्यान्न और सरकारी योजना के लाभ उपलब्ध दिलाने के लिये अस्थाई रूप से एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना अपनाने के लिये न्यायालय से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।  कंसल ने दावा किया था कि राज्य और केन्द शासित प्रदेश अपने नागरिकों और मतदाताओं को प्राथमिकता दे रही हैं और वे प्रवासी मजदूरों ओर दूसरे राज्यों के निवासियों को रियायती दाम पर खाद्यान्न, भोजन, आवास और चिकित्सा सुविधाओं के लाभ नहीं दे रही हैं।  न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘हम केन्द्र सरकार को इस समय यह योजना लागू करने की व्यावहारिकता पर विचार करने और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये उचित निर्णय लेने का निर्देश देते हैं।

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