कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीन भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान और ड्रोनियर एविगेशन प्राइवेट लिमिटेड के बीच एमओयू के हस्ताक्षर किए गए। जिसमें 12वीं पास युवाओं को ड्रोन उड़ाने का रिमोट पायलट प्रशिक्षण दिया जाएगा।
ड्रोन पायलट प्रशिक्षण की क्षमता पर बात
इस मौके पर संस्थान के निदेशक ने बताया कि पेशेवर क्षमता निर्माण की दिशा में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) में पहला एमओयू है। जिसमें युवाओं को कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। ड्रोन समिति के अध्यक्ष डॉ. ओजस्वी ने देश में विशेष रूप से कृषि उपयोग पर जोर देते हुए ड्रोन पायलट प्रशिक्षण की क्षमता पर बात की।
उन्होंने बताया कि इस तरह की ड्रोन पायलट प्रशिक्षण सुविधाएं देश में बहुत सीमित हैं। उत्तराखंड में यह अपनी तरह की पहली सुविधा होगी। इस मौके पर संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. चरण सिंह, डॉ. आरके सिंह, डॉ. जेएमएस तोमर, डॉ.गोपाल कुमार आदि मौजूद थे।