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Health: आज कम गतिशील जीवनशैली के कारण कम उम्र में भी लोग टाइप-2 डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। मधुमेह के लक्षण इतनी जल्दी दिखाई नहीं देते हैं और इसी वजह से इसका इलाज भी देर से शुरू हो पाता है। मधुमेह के शुरुआती चरणों में या तो लक्षण बहुत मध्यम होते हैं या फिर नजर ही नहीं आते हैं।
इस बीमारी का पता तब चलता है जब आप किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या की जांच के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं। जब धीरे-धीरे ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो मधुमेह के लक्षण सामने आने लगते हैं।
जब अग्नाश्य पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हार्मोन नहीं बना पाता है तब डायबिटीज की स्थिति उत्पन्न होती है। इंसुलिन भोजन से प्राप्त शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है।
यदि हाई ब्लड शुगर का इलाज न किया जाए तो इससे शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में शरीर पर कई संकेत एवं बदलाव दिखने लगते हैं।
इसका एक चेतावनीपूर्ण संकेत बैठने की पोजीशन से उठने में दिक्कत होना भी है। जब हाई ब्लड शुगर लेवल जांघों, कूल्हों और टांगों की नसों को प्रभावित करता है तो व्यक्ति को बैठने के बाद उठने में दिक्कत आती है।
इसके अलावा व्यक्ति को कूल्हों और जांघों में तेज दर्द रहता है, जांघों की मांसपेशियां धीरे-धीरे सिकुडऩे और कमजोर होने लगती हैं। पेट में भी तेज दर्द रहता है।
क्या है इलाज
नसों को नुकसान पहुंचने से बचाने के लिए नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से आप ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रख सकते हैं।
डायट पर दें ध्यान
टाइप-2 डायबिटीज में आपको ऐसे खाद्य पदार्थों से दूरी बनानी है जिनमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा होती है। इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। कार्बोहाइड्रेट जल्दी ग्लूकोज में टूट जाता है और इसका असर फैट या प्रोटीन से ज्यादा ब्लड शुगर पर पड़ता है। ब्लड शुगर लेवल को नॉर्मल रेंज में रखने के लिए शुगर, फैट और नमक का सेवन कम कर दें। नाश्ता, लंच और डिनर जरूर करें। एक समय का खाना भी स्किप न करें।
एक्सरसाइज
शारीरिक व्यायाम की मदद से भी ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। हफ्ते में ढ़ाई घंटे तक एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। एक्सरसाइज में आप तेज चलने, सीढियां चढऩे और बागवानी आदि कर सकते हैं।
अगर आपको भी बैठकर उठने में दिक्कत हो रही है तो एक बार डॉक्टर के पास जाकर अपना चेकअप जरूर करवा लें। ऐसा नहीं है कि ये समस्या टाइप 2 डायबिटीज की वजह से ही हो लेकिन आपको जो भी प्रॉब्लम होगी, उसका समय पर पता चल जाएगा और इलाज भी सही समय पर शुरू हो पाएगा।