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देहरादून:  देश के उद्यान, कृषि, एवं कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल (Subodh-Uniyal) की अध्यक्षता में विधानसभा स्थित सभाकक्ष में कृषक एवं कृषक समूहों द्वारा निर्यात की जाने वाली जड़ी-बूटियों के दस्तावेजीकरण हेतु सिंगल डेस्क प्लेटफार्म विकसित किये जाने के सम्बन्ध में बैठक आयोजित की गई। प्रदेश में उत्पादित होने वाली कुटकी, अतीश, सर्पगंधा, सतावर, बडी इलायची, अमेश, तेजपात इत्यादि औषाधीयाॅ जिनकी प्रजातियाॅं एवं उत्पादन दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है के उत्पादन को बढ़ावा देने तथा किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए मंत्री ने एचआरडीआई (हर्बल रिसर्च एण्ड डेवलपमेन्ट इन्स्टिट्यूट), उत्तराखण्ड जैव विविधता बोर्ड, उत्तराखण्ड सीड्स एण्ड आॅर्गेनिक सर्टीफिकेशन एजेन्सी, यूओसीबी (उत्तराखण्ड जैविक वस्तु बोर्ड), वन विभाग, कृषि विभाग आदि एजेन्सियों तथा विभागीय अधिकारियों के साथ व्यापक विचार विमर्श करते हुए विलुप्ती के कगार पर पहुचने वाली औषधीय प्रजातियों को व्यापक पैमाने पर उत्पादित करने और किसानों-कास्तकारों की आय बढाने के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिये।

मंत्री (Subodh-Uniyal) ने उत्तराखण्ड जैव विविधता बोर्ड को नेशनल वाइल्ड लाईफ क्रिमिनल बोर्ड तथा राष्ट्रीय जैव विविधता बोर्ड के समन्वय से ऐसी व्यवस्था बनाने के निर्देश दिये जिससे किसानों को इन जडी बुटियों के उत्पादन और मार्केटिंग में की जाने वाली औपचारिकताएं कम-से-कम तथा सरलतम हो जिससे जड़ी बुटियों के उत्पादन की विभिन्न औपचारिकताएॅ कम समय में तथा आसानी से पूरी की जा सके। इसके साथ ही एचआरडीआई तथा कृषि विभाग के समन्वय से इन औषाधियों के उत्पादन में किसानों के सामने आने वाली बाधाओं को कैसे दूर किया जा सके जिससे अधिक से अधिक किसान जडी बुटियों के उत्पादन से जुड सकें तथा बेहतर मार्केटिंग के माध्यम से कैसे किसान को अधिक लाभान्वित किया जा सके इस पर व्यापक होमवर्क करने के निर्देश दिये।

उन्होने हार्टिकल्चर मार्केटिंग बोर्ड को किसानों द्वारा उत्पादित औषधियों की मार्केटिंग में सक्रिया सहायता करने के निर्देश दिये जिससे किसानो के उत्पादों की खरीद की सुनिश्चितता हो सके। इसके अतिरिक्त बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया गया कि विलुप्त होने वाली औषधीय जडी बुटियों के उत्पादन को बहुबर्षिय फसलों की भाॅति मनरेगा से भी जोडा जाय। ताकि इन जडी बुटियों का व्यापक स्तर पर उत्पदान सुनिश्चित हो सके। जिससे एक ओर इन हर्बल औषधियों को विलुप्त होने से बचाया जा सकेगा तथा दूसरा इसका व्यापक पैमाने पर उत्पादन करते हुए किसानों की आय को भी बढाया जा सके। इस अवसर पर  निदेशक हर्बल रिसर्च एण्ड डेवलपमेन्ट इन्स्टिटयूट चन्द्रशेखर सनवाल, सदस्य सचिव उत्तराखण्ड जैव विविधता बोर्ड आर एन झा, निदेशक उत्तराखण्ड सीड्स एण्ड आॅर्गेनिक एजेन्सी डाॅ. परमाराम, महाप्रबन्धक उत्तराखण्ड जैविक वस्तु बोर्ड विनय कुमार, संयुक्त सचिव कृषि एवं कृषक कल्याण महिमा, वन विभाग से रमेश चन्द्र सहित सम्बन्धित विभागीय अधिकारी मौजूद थे।