सरकारी कार्मिकों और पेंशनरों को शुरू होने के तकरीबन 11 माह बाद भी अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। कई बार प्रारूप तैयार करने के बावजूद इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। अटल आयुष्मान योजना संचालन समिति ने शासन को साफ कर दिया है कि पहले ही प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लग चुकी है, अब इसे लागू कराना शासन का काम है।

उत्तराखंड सरकार ने बीते वर्ष आयुष्मान भारत योजना का विस्तार करते हुए समस्त प्रदेशवासियों के लिए अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना की शुरुआत की। इस योजना में आम नागरिक के लिए प्रति परिवार पांच लाख रुपये तक की स्वास्थ्य सुविधा देने का प्रावधान है।

सरकारी कर्मचारियों व पेंशनरों के लिए इलाज के खर्च को असीमित रखा गया। इसके लिए लाभ लेने वाले कार्मिक के पद के हिसाब से अंशदान लिए जाने का प्रावधान किया गया। आम आदमी के लिए यह योजना तो बीते वर्ष ही शुरू कर दी गई, लेकिन कर्मचारी संगठनों ने इस योजना के कुछ बिंदुओं पर अपना विरोध जताया।

उन्होंने सरकारी कर्मचारियों के लिए सरकारी अस्पताल से रेफरल की अनिवार्यता को समाप्त करने के साथ ही प्रदेश व दूसरे राज्यों के निजी अस्पतालों में सीधे इलाज की सुविधा देने की मांग की। उन्होंने इलाज के दौरान केमिस्ट से सीधे दवा लेने और इसकी प्रतिपूर्ति की मांग उठाई। इसके अलावा उन्होंने प्रदेश के बाहर के निजी अस्पतालो में भी सीधे इलाज की सुविधा देने की मांग की।

इस पर शासन ने एक प्रस्ताव बनाकर कर्मचारी संगठनों के सम्मुख रखा जिस पर सहमति नहीं बनी। इसके बाद शासन ने योजना की संचालन समिति, राज्य अटल आयुष्मान योजना को इस संबंध में प्रस्ताव देने को कहा। इस पर समिति ने साफ किया कि इस संबंध में पहले ही निर्णय हो चुका है। लिहाजा, शासन को अपने स्तर से इस पर काम करना है। इसके बाद से ही शासन इस योजना पर चुप्पी साधे बैठा है।