कश्मीर में आतंकवादियों से ज्यादा वे खतरनाक हैं, जो आम लोगों के बीच रहकर आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे हैं। इन्हें आप ओवर ग्राउंड वर्कर या फिर वाइट कालर आतंकी भी कह सकते हैं। आतंकवादियों के साथ-साथ समाज में छिपी इन काली भेड़ों पर शिकंजा कसने के लिए कश्मीर पुलिस ने अपना रवैया सख्त किया है। प्रशासन ने आतंकवादियों की मदद करने वाले इन लोगों पर कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ इनकी संपत्ति भी अटैच करने का फैसला किया है।

इस पर कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। पिछले कुछ महीनों में पुलिस ने कश्मीर घाटी में जिन ओवर ग्राउंड वर्करों या आतंकी मामलों से जुड़े दूसरे लोगों को गिरफ्तार किया है, उनकी संपत्ति अटैच करने की कार्रवाई शुरू कर दी है।आतंकियों के शरणदाताओं और ओवरग्राउंड वर्करों की नकेल कसते हुए प्रदेश प्रशासन ने अब गैर कानूनी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम के तहत उनकी संपत्ति को अटैच करने का फैसला किया है।

एसएसपी श्रीनगर राकेश बलवाल ने कहा कि वह सभी इमारतें अटैच की जा रही हैं जिनका इस्तेमाल आतंकियों ने किया है, फिर चाहे वह किसी का मकान हो, दुकान हो या बाग। यह आतंकी गतिविधियों से संबधित मामलों में संबधित कानून के तहत किया जा रहा है। इसलिए कोई भी आतंकियों को पनाह न दे और न उन्हें अपने मकान, बाग, दुकान या किसी अन्य ढांचे का इस्तेमाल करने दे।

यह पहला अवसर नहीं है जब कश्मीर में पुलिस ने किसी आतंकी को ठिकाना प्रदान करने वाले उसके किसी मददगार के मकान को अटैच करने का फैसला किया हो। बीते साल 25 जनवरी को पुलवामा जिले के अवंतीपोर में पुलिस ने खिरयु में रहने वाले जैश-ए-मोहम्मद के एक ओवरग्राउंड वर्कर का मकान अटैच किया गया था। उसके घर में वर्ष 2020 मेे छिपे आतंकियो के साथ मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी और एक सैन्यकमी वीरगति को प्रापत हुए थे।

इससे पूर्व 30 जून 2012 को जम्मू कश्मीर पुलिस ने हरकतुल जिहादी इस्लामी आतंकी संगठन से संबधित गुलाम मोहम्मद खान के छन्नपोरा स्थित मकान को उससे खाली करा सील किया था। इसी दिन पुलिस ने हिजबुल मुजाहिदीन के पाकिस्तान में बैठे आतंकी अब्दुल मजीद लोन व उसके पिता अब्दुल रज्जाक लोन की उत्तरी कश्मीर के बागुव सोपोर स्थित 15 कनाल जमीन को अटैच किया था।