नईदिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भारतीय बैंकिंग सेक्टर को लेकर एक नया नियम जारी किया है. आरबीआई(RBI) की गाइडलाइन्स बैंकिंग गवर्नेंस से जुड़ी है. यह गाइडलाइन प्राइवेट बैंक्स, स्मॉल फाइनेंस बैंक, विदेशी बैंकों के सब्सिडियरीज पर लागू होगी. अगर कोई विदेशी बैंक भारत में ब्रांच चला रहा है तो यह सर्कुलर उस पर लागू नहीं होगा. रिजर्व बैंक के नए नियम के तहत मैनेजिंग डायरेक्टर, चीफ इकोनॉमिक ऑफिसर और होल टाइम डायरेक्टर का पद एक शख्स 15 साल से ज्यादा नहीं सभाल सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक के सर्कुलर में कहा गया है कि अगर किसी एमडीएण्डसीईओ और डब्ल्यूटीडी के 15 साल पूरे हो जाते हैं तो पहले उसे अपने पद से हटना होगा. उनकी दोबारा नियुक्ति तभी संभव हो पाएगी जब बैंक का बोर्ड इस बारे में फैसला लेता है. अगर बैंक का बोर्ड यह फैसला ले भी लेता है तो दोबारा नियुक्ति कम से कम 3 साल बाद होगी. इसके अलावा भी कई तरह के अन्य कंडिशन्स हैं. इन तीन सालों के दौरान वह शख्स बैंक के ग्रुप एंटिटीज के साथ सीधा या परोक्ष रूप से जुड़ा नहीं रह सकता है.
प्राइवेट बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ के लिए अधिकतम उम्र की सीमा 70 साल बरकरार रखी गई है. हालांकि बैंक का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स इस संबंध में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होगा. इंटर्नल पॉलिसी के अंतर्गत बैंक का बोर्ड रिटायरमेंट के लिए उम्र सीमा को कम कर सकता है. हालांकि उसे 70 साल से ज्यादा करने का अधिकार नहीं होगा.
अगर मैनेजिंग डायरेक्टर या होल टाइम डायरेक्टर (डब्ल्यूटीडी) बैंक का प्रमोटर या बड़ा शेयर होल्डर है तो वह इस पद पर 12 सालों से ज्यादा के लिए नहीं रह सकता है. विकट परिस्थितियों में इनके कार्यकाल को 15 सालों तक बढ़ाया जा सकता है. अगर किसी प्राइवेट बैंक का मैनेजिंग डायरेक्टर या डब्ल्यूटीडी पहले ही 12 या 15 सालों का टर्म पूरा कर चुका है तो वह आरबीआई की तरफ अप्रूव्ड टर्म के लिए अपने पद पर बना रह सकता है.