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देहरादून: विधानसभा चुनाव में अब की बार 60 पार का नारा देने वाली BJP की मुश्किलें बागियों ने बढ़ा दी है। राज्य की दो दर्जन से भी अधिक सीटों पर भाजपा के अंदर भारी बगावत देखी जा रही है। जिनमें से 15 से 16 सीटों पर तो पार्टी के नेताओं ने अपने ही अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ नामांकन पत्र भरके BJP के सामने गंभीर संकट की स्थिति पैदा कर दी है। इस बगावत से भाजपा कैसे निपटती है यह उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

राजधानी दून की धर्मपुर सीट से BJP ने पूर्व मेयर और विधायक विनोद चमोली को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया है लेकिन इस सीट पर टिकट न मिलने से नाराज भाजपा नेता वीर सिंह पंवार निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। वहीं कैंट सीट जहां से भाजपा के स्वर्गीय पूर्व विधायक हरबंस कपूर की पत्नी सविता कपूर को प्रत्याशी बनाया गया, के खिलाफ BJP नेता व पूर्व दर्जाधारी दिनेश रावत उन्हें चुनौती देने के लिए तैयार हैं।

रायपुर से भले ही भाजपा ने अपने सीटिंग विधायक उमेश शर्मा काऊ को टिकट दिया है लेकिन उनका BJP के एक गुट द्वारा जिस तरह से लंबे समय से विरोध किया जा रहा है उसके मद्देनजर भी भीतरघात की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। डोईवाला सीट पर भाजपा ने अंतिम समय में भले ही प्रत्याशी बदलकर बृजभूषण गैरोला को अपना उम्मीदवार बनाया हो लेकिन उनके लिए भी राह आसान नहीं है। यहां जितेंद्र नेगी, सुभाष भटृ और सौरभ थपलियाल की बगावत उन पर भारी पड़ सकती है।

हरिद्वार की रानीपुर सीट पर भाजपा प्रत्याशी को अपना पार्टी के इश्ंाात तेजीयान तथा पिरान कलियर की सीट पर जय भगवान सैनी की बगावत से निपटने की गंभीर चुनौती है। घनसाली सीट पर भी भाजपा प्रत्याशी को अपनी पार्टी के सोहनलाल और दर्शन लाल की बगावत का सामना करना पड़ रहा है। तथा धनोल्टी सीट जहां से भाजपा ने प्रीतम पंवार को अपना प्रत्याशी बनाया है उन्हें पूर्व विधायक महावीर रांगड़ की चुनौती से दोकृचार होना पड़ रहा है। वही कोटद्वार सीट पर BJP के धीरेंद्र चौहान अपनी ही पार्टी के लिए मुसीबत बने हुए हैं। यमुनोत्री सीट पर भाजपा नेता जगबीर सिंह भंडारी ने भाजपा के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है।

वहीं कोटद्वार सीट पर BJP के धीरेंद्र चौहान अपनी ही पार्टी के लिए मुसीबत बने हुए हैं। यमुनोत्री सीट पर भाजपा नेता जगबीर सिंह भंडारी ने भाजपा के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक रखा रखा है। वही रुद्रपुर सीट पर विधायक राजकुमार ठुकराल निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर कर भाजपा को सबक सिखाने की बात कह रहे हैं। कर्णप्रयाग तथा किच्छा में भी भाजपा प्रत्याशियों को अपनों के विरोध से जूझना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है रामनगर और कालाढूंगी में भी BJP नेताओं के बगावती तेवर दिख रहे हैं।
भले ही भाजपा नेता बगावत से इन्कार व रूठों को मनाने की बात कर रहे हो लेकिन पहाड़ से मैदान तक जिस तरह यह बगावत की आग फैली हुई है भाजपा कैसे डैमेज कंट्रोल कर पाती है और इसे रोकने में कितनी कामयाब होगी समय ही बताएगा। लेकिन यह बगावत भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती जरूर है।