वाहनों की प्रदूषण जांच को लेकर मची मारामारी पर सरकार हरकत में आ गई है। परिवहन मंत्री यशपाल आर्य की ओर से निर्देश दिए गए थे कि प्रदूषण जांच के लिए अभी कोई कार्रवाई न की जाए। अब उन्होंने प्रदेश के सभी रोडवेज बस अड्डों पर प्रदूषण जांच कराने के लिए केंद्र लगाने के आदेश दिए।

उन्होंने आदेश दिए गए हैं कि यहां केवल रोडवेज बसों के ही नहीं बल्कि आमजन के वाहनों की भी प्रदूषण जांच की जाए। पहले चरण में दून, हल्द्वानी व टनकपुर मंडल में जांच केंद्रों को खोला जाएगा और फिर बस अड्डों पर इसे खोलने की शुरुआत हो।

नए मोटर वाहन अधिनियम में वाहनों की प्रदूषण जांच न होने पर दस हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। भले ही उत्तराखंड में अभी नए प्रावधान सरकार की ओर से लागू नहीं किए गए हैं, लेकिन कड़े जुर्माने को लेकर लोगों में हाय-तौबा मची हुई है। लोग सुबह तीन बजे से वाहनों की प्रदूषण जांच के लिए प्रदूषण जांच केंद्रों के बाहर कतार में लग रहे।

दैनिक जागरण ने आमजन की समस्या को प्रमुखता से उठाया। प्रदेश में प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या बेहद कम है। अकेले देहरादून में ही महज 19 जांच केंद्र हैं, जबकि यहां वाहनों की संख्या 10 लाख है। हर केंद्र पर सुबह से रात तक लोगों की कतार लग रही और वाहन सड़कों पर खड़े रहने से जाम लग रहा।

परिवहन विभाग की ओर से लोगों को आश्वस्त तक किया गया है कि इस माह प्रदूषण व बीमे की जांच के लिए कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा है, लेकिन लोगों में भय का माहौल है। आमजन में मचे भय के माहौल को देखते हुए परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने विभागों को अभी प्रदूषण जांच पर कोई चालान नहीं करने के निर्देश दिए हैं।

इधर, रोडवेज बसों में भी प्रदूषण जांच की समस्या आ रही थी, क्योंकि ये बसें दूसरे राज्यों में भी जाती हैं। वहां फिलहाल रियायत नहीं है। वर्तमान में रोडवेज की करीब 1300 बसें हैं। परिवहन मंत्री ने रोडवेज प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान व महाप्रबंधक दीपक जैन को सभी मंडलों व बस अड्डों पर प्रदूषण जांच केंद्र खोलने के आदेश दिए। महाप्रबंधक जैन ने बताया कि तीन जांच केंद्रों के लिए परिवहन आयुक्त कार्यालय में आवेदन किया जाएगा। अगले 15 दिन में जांच केंद्र कार्य करना शुरू कर देंगे।