खुद को कश्‍मीरी मुस्लिमों का हमदर्द बताने वाले पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री का दोहरा चरित्र सामने आ गया है। दरअसल, अल जजीरा को दिए इंटरव्‍यू में जब इमरान खान से चीन में हो रहे उइगर मुसलमानों के दमन को लेकर तीखा सवाल पूछा गया तो उन्‍होंने चीन की आलोचना करने की बजाए इस सवाल को ही गोलमोल करके टाल गए। साक्षात्‍कार में जब पत्रकार मोहम्‍मद जमजूम ने इमरान खान से पूछा कि क्या उन्‍होंने कभी चीनी राष्ट्रपति शी च‍िनफ‍िंग के साथ उइगर मुसलमानों के मुद्दे पर चर्चा की है। इस पर इमरान ने जवाब दिया कि उन्‍हें इस समस्या के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। इस जवाब में वह यह बताना नहीं भूले कि चीन पाकिस्‍तान का सबसे अच्छा दोस्त है।

बता दें कि इमरान खान ने अल जजीरा टीवी चैनल को रविवार को दिए गए इंटरव्‍यू में कश्मीर को लेकर परमाणु युद्ध होने की आशंका एक बार फिर जताई थी। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि पाकिस्तान परंपरागत युद्ध में भारत से हार जाएगा। इमरान ने कहा था कि अगर एक देश के पास दो ही विकल्प हों-या तो हथियार डाल दे या आखिरी सांस तक आजादी के लिए लड़ता रहे। मैं जानता हूं कि पाकिस्तान आजादी के लिए आखिरी सांस तक लड़ेगा। जब एक परमाणु संपन्न देश अपनी आखिरी सांस तक लड़ता है तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इसीलिए हमने संयुक्त राष्ट्र से संपर्क साधा है। इसीलिए हम हर अंतरराष्ट्रीय फोरम पर अपील कर रहे हैं कि वह अभी इस मामले में दखल दें। अन्यथा कश्मीर मामला भीषण विनाश का कारण बन सकता है। यह मामला भारतीय उपमहाद्वीप के परे चला जाएगा।

पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि भारत अब पाकिस्तान को एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) की काली सूची में डालने की कोशिश कर रहा है। यदि पाकिस्तान को एफएटीएफ की काली सूची में डाला गया तो फिर पाक पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लग जाएंगे। वह हमें आर्थिक रूप से तबाह करने पर लगे हुए हैं। तभी हमें अहसास हुआ कि यह सरकार (मोदी सरकार) पाकिस्तान को बर्बादी की ओर ढकेलने का एजेंडा लेकर आई है। उन्‍होंने यह भी कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भारत सरकार से बात करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है।