नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास निसंदेह उत्तर प्रदेश के इतिहास में मील का पत्थर सिद्ध होगा। यद्यपि पूर्ववर्ती सरकारों ने रुचि नहीं ली वरना यह एयरपोर्ट कब का बन गया होता। उत्तर प्रदेश दो से तीन साल में पांच अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों वाला राज्य हो जाएगा। वैसे भी इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आइजीआइ) में बढ़ती उड़ानों की संख्या एवं नाकाफी यात्री सुविधाओं के चलते एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की आवश्यकता महसूस की जा रही थी जो दिल्ली के करीब हो।

शिलान्यास के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह कहकर इरादे स्पष्ट कर दिए कि इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट हमारे लिए राजनीति नहीं, राष्ट्रनीति है। इसके आगे स्वार्थ नीति नहीं टिक सकती। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का पहला चरण दस हजार 56 करोड़ रुपये का है। वर्ष 2024 में नोएडा एयरपोर्ट का निर्माण पूरा होने के साथ यात्री सेवाओं की शुरुआत हो जाएगी। शुरुआत में सालाना 1.20 करोड़ यात्री एयरपोर्ट से सफर करेंगे। चारों चरण पूरा होने के बाद यह देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा।

निर्माण कार्यो में लेटलतीफी अमूमन आम बात है। ऐसे में एयरपोर्ट के निर्माण में लेटलतीफी पर जुर्माने का प्रविधान सरकार का सर्वथा उचित फैसला कहा जाएगा। वास्तव में जुर्माने का प्रविधान करके परियोजना को समयबद्ध किया गया है। कोई शक नहीं कि एयरपोर्ट वक्त की जरूरत है, क्योंकि इससे पर्यटन व सर्विस क्षेत्र को बढ़ावा मिलता है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट शुरू होने से होटल, शिक्षा, पर्यटन, परिवहन, कार्गो, आइटी, चिकित्सा पर्यटन के साथ औद्योगिक विकास नए आयाम तो छुएगा, ही साथ ही लगभग दस लाख लोगों के लिए रोजगार सृजन भी करेगा। दिल्ली वाराणसी हाईस्पीड रेल कारिडोर से एयरपोर्ट को जोड़ा जाएगा। हरियाणा के बल्लभगढ़ से नोएडा एयरपोर्ट तक छह लेन सड़क के लिए जमीन अधिग्रहण का काम जारी है। यह सड़क नोएडा एयरपोर्ट को दिल्ली-मुंबई एयरपोर्ट से कनेक्टिविटी के साथ आइजीआइ एयरपोर्ट दिल्ली से भी कनेक्टिविटी देगी। खुर्जा से जेवर तक चार लेन सड़क बनाकर एनएच 34 से जोड़ा जाएगा। नोएडा एयरपोर्ट में औद्योगिक निवेश में जबरदस्त उछाल आएगा। बोइंग, एयरबस समेत एयरक्राफ्ट के मेंटीनेंस, रिपेयरिंग, ओवर हालिंग एमआरओ के लिए इसे मुख्य केंद्र बनाने की योजना है। इसमें करीब एक लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। कार्गो हब के रूप में भी एयरपोर्ट को विकसित किए जाने की योजना है। ऐसे में आइजीआइ को गौतमबुद्ध नगर व गाजियाबाद से मिलने वाले 51 फीसद कार्गो में नोएडा एयरपोर्ट की हिस्सेदारी तेजी के साथ बढ़ेगी। कई मामलों में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट गेमचेंजर साबित हो सकता है।

गर्व की बात : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़े देखकर उत्तर प्रदेश की सेहत पर गर्व होता है। बेटियों के प्रति लोगों का सोच बदला है। यही वह सोच है जिसने बेटियों को कोख में मारने की कुप्रथा के खात्मे का मार्ग प्रशस्त किया। पहले जहां प्रति 1000 पुरुषों के मुकाबले 995 महिलाएं होती थीं, अब उनकी तादाद बढ़कर 1017 हो गई है। परिवार नियोजन के साधनों के इस्तेमाल में 17 फीसद की बढ़ोतरी और प्रजनन दर में आई उल्लेखनीय कमी आमजन में जागरूकता का पता देती है। गांव-गांव में सार्वजनिक और व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण खूब हुआ है।

एक दौर था जब घर में प्रसव को परंपरा की दुहाई देने वाली महिलाएं भी अब बहुओं-बेटियों को गर्भावस्था से जुड़ी जांचों के लिए सरकारी अस्पतालों में भेजती हैं। प्रसव भी अस्पताल में हो रहे हैं। निसंदेह एंबुलेंस सेवा, आशा बहुओं की गतिशीलता और स्वास्थ्यकर्मियों की भी महती भूमिका है। बच्चों के टीकाकरण और स्तनपान में 18 फीसद के उछाल से साबित होता है कि बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूकता बढ़ी है। लेकिन कामयाबी इस दर से खुश हो जाने के बजाय इस दिशा में गतिशील रहना होगा, तभी संपूर्ण लक्ष्य की प्राप्ति संभव होगी।

गोवा में जमा यूपी का रंग : वैसे तो मायानगरी में यूपी का डंका काफी पहले से बजता आया है। एक से बढ़कर एक नामी कलाकार यूपी ने दिए। गोवा में हुए इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में उत्तर प्रदेश का जादू सिर चढ़कर बोला। यूपी में फिल्मों के लिए बेहतरीन लोकेशन हैं। आगरा, वाराणसी, लखनऊ समेत अनेक शहरों में तमाम कामयाब फिल्मों की शूटिंग होती ही रहती है। गोवा फेस्टिवल के दौरान फिल्म निर्माता करन जौहर ने यूपी की जमकर सराहना की। कहा कि लखनऊ, कानपुर, वाराणसी में कहीं भी शूटिंग करने पर कहानियां अपने आप बन जाती हैं। बेहद खूबसूरत लैंडस्केप हैं। कई अन्य निर्माताओं ने भी फिल्मकारों को यूपी का रुख करने की सलाह दी।