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मंडी,(विजयेन्द्र दत्त गौतम):जोगेंद्रनगर में ऊहल तृतीय पन विद्युत प्रोजेक्ट के पावर हाउस में रात एक बजे बड़ा हादसा हुआ। आठ मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू कर हमीरपुर के मट्टन सिद्ध ग्रिड को सप्लाई भेजी जा रही थी। करीब एक घंटे बाद साढ़े 12 बजे इंजीनियरों ने लोड 8 से बढ़ा के 16 मेगावाट करनेबके लिए प्रेशर बढ़ाया ,पावर हाउस से 150 मीटर की दूरी पर penstrok में ब्लास्ट हो गया। पानी पॉवर हाउस की दीवार को तोड़ अंदर घुस गया। 15 इंजीनियर व कर्मचारियों ने भाग कर जान बचाई। 15 लोग अंदर फंसे गए। पावर हाउस पूरी तरह पानी व मिट्टी से भर गया।

एक इंजीनियर ने हिम्मत दिखा पेन स्टॉक का वाल्ब बंद किया। इसके बाद करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद अंदर फंसे कर्मचारियों को बाहर निकाल उनकी जान बचाई गई। रात 3 बजे तक बचाव कार्य चलता रहा। जलभराव व मिट्टी भरने से पॉवर हाउस में करोड़ों रुपये की मशीनरी खराब हो गई है। सालों के इंतजार के बाद रात करीब साढ़े 11 बजे उत्पादन शुरू हुआ था। जानकारी के अनुसार पैन स्टॉक फटने से पॉवर हाउस को भारी नुकसान पहुंचा है।

बताया जा रहा है कि आठ मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू कर सप्लाई हमीरपुर के मट्टन सिद्ध ग्रिड को भेजी जा रही थी। करीब एक घंटे बाद साढ़े 12 बजे इंजीनियरों ने लोड 8 से बढ़ाकर 16 मेगावाट करने के लिए प्रेशर बढ़ाया तो पाॅवर हाउस से 150 मीटर की दूरी पर पैन स्टॉक में ब्लास्ट हो गया। पानी पॉवर हाउस की दीवार को तोड़कर अंदर घुस गया। 15 इंजीनियर व कर्मचारियों ने भाग कर जान बचाई व 15 लोग अंदर फंस गए। पावर हाउस पूरी तरह पानी व मिट्टी से भर गया।

8.4 किलोमीटर लंबी पैन स्टॉक में चूला स्थित पॉवर हाउस के नजदीक ही यह हादसा हुआ। 100 मेगावाट क्षमता के इस प्रोजेक्ट में 33.3 मेगावाट की तीन टरबाइन लगाई गई हैं। टरबाइन एक से बिजली उत्पादन शुरू किया गया था, इंजीनियरों की योजना बिजली उत्पादन को 32 मेगावाट तक ले जाने की थी। हादसे के दौरान सब सिग्नल फेल हो चुके थे। ऐसे में इंजीनियर अरुण शर्मा ने साहस का परिचय दिया। उन्होंने खुद की जान जोखिम में डालकर मोबाइल फोन की रोशनी से पहाड़ी पर चढ़ कर पैन स्टॉक का व्हील बंद किया। इसके अलावा पॉवर हाउस में मौजूद इंजीनियरों व कर्मचारियों ने क्रेन पर चढ़ कर जान बचाई।

प्रोजेक्ट में इलेक्ट्रिकल विंग के अधीक्षण अभियंता अजय विक्रांत ने कहा कि हमारी मेहनत पर पानी फिर गया। 15 लोगों ने बड़ी मुश्किल से जान बचाई, अगर व्हील बंद नहीं किया होता तो बड़ा हादसा हो सकता था। एचपीएसईबी के संयुक्त निदेशक अनुराग पराशर ने बताया कि परियोजना के नुकसान का आंकलन किया जा रहा है।