नईदिल्ली,(विजयेन्द्र दत्त गौतम) :गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि निजामुद्दीन मरकज मामले की सीबीआई जांच की कोई जरूरत नहीं है. साथ ही मंत्रालय ने इस दावे को भी खारिज कर दिया कि दिल्ली पुलिस ऐसा करने से रोकने में विफल रही. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केंद्र द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि निजामुद्दीन मामले की जांच कानून के अनुसार दिन-प्रतिदिन की जा रही है और समय-सीमा में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं.
वहीं याचिकाकर्ता द्वारा रिजॉइंडर दाखिल करने के लिए समय मांगे जाने के बीच निजामुद्दीन मरकज और आनंद विहार में इक_ा हुई भीड़ पर जनहित याचिका को दो सप्ताह के लिए सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया गया है. याचिकाकर्ता ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस द्वारा मार्च में आयोजित हुई इतनी बड़ी सभी को उस वक्त अनुमति देने के लिए दिल्ली सरकार की खामियों की जांच की मांग की जब भारत में कोरोनोवायरस के मामले बढ़ रहे थे.
वहीं मंत्रालय ने उन आरोपों का खंडन किया है कि दिल्ली पुलिस निजामुद्दीन मरकज मामले में लापरवाही कर रही है और उसने एक व्यापक रिपोर्ट दर्ज करने का प्रस्ताव दिया है. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपने हलफनामे में, एमएचए ने निज़ामुद्दीन प्रमुख मौलाना साद और अन्य मरकज नेताओं पर कोरोनोवायरस संकट के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने का आरोप लगाया है. गृह मंत्रालय ने कहा है कि मामले में अन्य स्वतंत्र जांच की कोई आवश्यकता नहीं है.
एमएचए ने कहा है कि निजामुद्दीन सभा में सरकार की ओर से कोई कमी नहीं की गई. एमएचए ने कहा है कि तब्लीगी जमात को 21 मार्च को विदेशियों सहित अपने सभी लोगों को उनके घरों में वापस भेजने के लिए सूचित किया गया था. गृह मंत्रालय ने कहा, जमात आयोजकों द्वारा पुलिस के वैध निर्देशों की अनदेखी की गई. गृह मंत्रालय ने कहा है कि मौलाना साद सहित मरकज आयोजकों ने जानबूझकर और भीड़ को हटाने के निर्देशों की अनदेखी की. एक प्राथमिकी दर्ज की गई है. जो लोग निजामुद्दीन मरकज़ में एकत्र हुए थे, 500 से अधिक लोग इंडोनेशिया और मलेशिया सहित अन्य देशों से थे.